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राजस्थान में हर कोई ‘अंडर करंट’, 3 दिसंबर तय करेगा-किसको लगेगा झटका; अब प्लान ‘B’ पर वर्कआउट

Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में चुनाव परिणा में बागियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के द्वारा गणित बिगाड़ने की आशंका के चलते कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्लान-बी पर काम कर रही हैं।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Nov 29, 2023 20:53
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Rajasthan Assembly Election 2023, जयपुर : राजस्थान में वोटिंग के बाद अब हर किसी की नजर 3 दिसंबर को आने वाले नतीजे पर है। एग्जिट पोल अपनी जगह होंगे और नेताओं के दावे अपनी जगह, लेकिन अभी तक के दावों में हर पार्टी हार रही है और हर पार्टी जीत रही है। बागियों और निर्दलीयों की अदावत और चुनाव परिणाम के इंतजार के चक्कर में राजनीति के बड़े-बड़े पंडित भी उलझ गए हैं। नतीजे अगर कुछ हद तक बागियों और निर्दलीयों के हक में चले जाते हैं तो दोनों बड़ी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का पूरा गणित बिगड़ भी सकता है और सुधर भी सकता है। लिहाजा इस स्थिति से निकलने के लिए दोनों ही पार्टियां प्लान-बी पर वर्कआउट कर रही हैं।

ये है बागियों का गणित

पूरी तरह से रोचक बने इस बार के चुनाव में शुरुआत में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ओर से 35 से अधिक बागी थे, लेकिन दोनों पार्टियां नेताओं के एक बड़े समूह को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में सफल रही हैं। हालांकि, बाकी बागियों का जमीनी स्तर पर अच्छा जुड़ाव है। कुछ के अशोक गहलोत के साथ अच्छे संबंध हैं और कुछ अन्य के वसुंधरा राजे के साथ अच्छे संबंध हैं। अगर वो जीतते हैं और दोनों में से किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो वो महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पिछले चुनाव का इतिहास बताता है कि  13 निर्दलीयों के भरोसे ही अशोक गहलोत की जादूगरी 5 साल चल पाई थी। निर्दलीय उम्मीदवारों ने लगभग 10% वोट शेयर हासिल करके कांग्रेस और भाजपा की गणना को बिगाड़ने में सक्षम नई हिस्सेदारी तय की थी। ऐसे में अब फिर बागियों का बल पार्टियों को प्रभावित करेगा।

एक नया पहलू ध्रुवीयकरण का भी जुड़ा

चुनावी इतिहास के पन्नों को पलटें तो साफ हो जाएगा कि 1998 से 2018 तक के चुनावों में बागियों, निर्दलीय उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने हर बार बड़ी पार्टियों के खेल को पलटने की हिमाकत दिखाई है। इस बार वोट प्रतिशत के इस गणित में एक सवाल ध्रुवीयकरण का भी जुड़ गया है, जिसने हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के मतदाताओं को दरवाजे खोलकर मतदान केंद्र तक जाने के लिए प्रोत्साहित कर दिया। यही वजह है की सीएम अशोक गहलोत अंडर करंट की बात करते हुए सत्ता में आने की बात तो करते हैं, लेकिन बीजेपी पर धार्मिक ध्रुवीयकरण का आरोप लगाते हुए जनता के फैसले को स्वीकरते भी नजर आते हैं।

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जादूगर का जीत का दावा, मगर जनता का फैसला स्वीकार भी

असल में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी गारंटियों और योजनाओं की पतवार के भरोसे राजस्थान में कांग्रेस का बेड़ा पार करने की बात करते भी दिखे। राजनैतिक जादूगरी और योजनाओं के दम पर 156 सीटें लाने का दावा भी वह कर चुके हैं। इसी के साथ संगठन की बागडोर संभालने वाले गोविन्द सिंह डोटासरा भी पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनेगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर से कहा कि बीजेपी मोदी, अमित शाह और दूसरे केंद्रीय नेताओं ने यहां आकर जो नैरेटिव बनाने की कोशिश की, उसमें वो नाकाम रहे हैं। बावजूद इसके 3 तारीख को जो भी नतीजा आएगा, हम विनम्र भाव से उसे स्वीकार करेंगे।

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भाजपा नेता ने कसा तंज

उधर, भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नारायण पंचारिया नहीं सीएम अशोक गहलोत द्वारा 3 दिसंबर को जनता का फैसला विनम्रता से स्वीकार किए जाने की लाइन दोहराकर तंज कसा, ‘सीएम ने आज ही कहा है जनता का फैसला स्वीकार होगा तो उनकी दिल की बात जुबां पर आ ही गई। इस बार कमल खिलेगा। कोई जादू नहीं चलेगा। वो चाहे कुछ भी बोल लें, कोई अंडर करंट नहीं है। जनता पेपर लीक, महिला अत्याचार से परेशान हो चुकी थी। अब हम पूर्व बहुमत से सरकार बना रहे हैं।

First published on: Nov 29, 2023 08:51 PM

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