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विश्वराज सिंह का खून से राजतिलक, महल में एंट्री नहीं दे रहे चाचा; महाराणा प्रताप के वंशजों में राजगद्दी पर क्यों हुआ टकराव?

Rajasthan News : राजस्थान में महाराणा प्रताप के वंशजों में राजगद्दी को लेकर टकराव हो गया। इसे लेकर चाचा-भतीजे आपस में ही भिड़ गए हैं। जहां विश्वराज सिंह का खून से राजतिलक हुआ तो वहीं अरविंद सिंह मेवाड़ ने महल का दरवाजा बंद करा दिया।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Nov 25, 2024 20:24
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Vishvaraj Singh
विश्वराज सिंह का हुआ राजतिलक।

Rajasthan News (केजे श्रीवत्सन, जयपुर) : राजस्थान में शौर्य की माटी मेवाड़ में महाराणा प्रताप के वंशज पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते हैं, लेकिन यहां तो उनके वंशजों के बीच राजगद्दी को लेकर टकराव हो गया। चाचा-भतीजे दोनों ही खुद को मेवाड़ का उत्तराधिकारी बता रहे हैं। हालांकि, ये मामला अदालत में विचाराधीन है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला?

महाराणा प्रताप के वंशजों ने अपनी ही पहचान के लिए विवाद का मैदान खड़ा कर दिया, जहां तिलक, तलवार और दस्तूर के साथ-साथ आपसी मतभेद भी सामने आ रहा है। एक तरफ पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ हैं तो दूसरी तरफ विश्वराज सिंह मेवाड़। दोनों ने खुद को महाराणा प्रताप का असली उत्तराधिकारी होने का दावा किया है।

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उत्तराधिकारी की लड़ाई हुई तेज

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नाथद्वारा के बीजेपी से विधायक बने विश्वराज सिंह मेवाड़ ने अपने पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार की लड़ाई को और तेज कर दिया है। एतिहासिक चित्तौड़गढ़ के फतेह प्रकाश महल में विश्वराज सिंह मेवाड़ का आज राजपूती शानो शौकत के साथ राजतिलक किया गया। यह वही जगह है, जहां पर राणा सांगा के बेटे विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। परंपरा के मुताबिक, पूर्व राजा रजवाड़ों की मौजूदगी में राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह को उदयपुर स्थित महल जाकर एकलिंग जी महादेव मंदिर में दर्शन करते थे और यही विवाद का कारण बन गया।

यह गैर कानूनी है : अरविंद सिंह मेवाड़

महल में इस वक्त काबिज चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने कहा कि यह गैर कानूनी है। महल में प्रवेश नहीं देंगे। उन्होंने पुलिस सुरक्षा के साथ महल सिटी पैलेस का मुख्य दरवाजा बंद करवा दिया। पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया, लेकिन विश्वराज सिंह के समर्थक भी अड़े हैं कि किसी भी कीमत पर परंपराओं का निर्वाहन किया जाएगा। एक तरफ सिटी पैलेस पर पुलिस की सख्त मुस्तैदी है तो दूसरी तरफ चित्तौड़गढ़ में दस्तूर के लिए पूर्व राजघरानों के प्रमुखों का जमावाड़ा है।

अंगूठा काटकर खून से किया राजतिलक

सलूंबर के रावत साहब देवव्रत सिंह जी चूंडावत ने अंगूठा काटकर रक्त से विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक किया। इस दौरान राजतिलक की रस्म में मेवाड़ से जुड़े सलूंबर, आमेठ, देलवाड़ा, भिंडर, देवगढ़, बनेड़ा, कोठारिया, बेदला, बड़ीसादड़ी, गोगुंदा, पारसोली, बदनोर, बेगूं, घाणेराव, कानोड़ और बिजोलिया के पूर्व राजपरिवार के सदस्य मौजूद रहे। अपने अपने ठिकानों की पग और साफे बांधे ठिकानेदारों ने परंपरागत तरीके और रस्मों रिवाज के साथ विश्वराज सिंह का तिलक कर उन्हें नजराना पेश किया।

21 तोपों की दी गई सलामी

राजतिलक के दौरान भगवान को चढ़ाए गए पुष्प की प्रसादी की रस्म निभाई गई। एकलिंग जी, कांकरोली स्थित द्वारकाधीश मंदिर और चारभुजा नाथ मंदिर की धुप और भभूत लगाने के बाद 21 तोपों की सलामी भी दी गई। चित्तौड़गढ़ में पगड़ी दस्तूर हुआ। विश्वराज एकलिंग नाथजी के 77वें दीवान बनाए गए।

एकलिंग नाथ को राजा तो राजा को दीवान माना जाता है

आपको बता दें कि मेवाड़ में परंपरा है कि वहां राजा नहीं होता है, बल्कि एकलिंग नाथ को राजा माना जाता है और राजा को दीवान की पदवी मिलती है, जो विश्वराज सिंह को घोषित किया गया। लेकिन, अरविंद सिंह मेवाड़ अड़े हैं कि वे मेवाड़ राजघराने के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं। मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट के जरिए चलता है, जिसका संचालन उनके पिता ने उन्हें दे रखा है। पूर्व महाराजा ने बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके परिवार को उदयपुर की शाही गद्दी से बेदखल कर रखा है, इसलिए राजगद्दी पर अधिकार छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह का ही है।

दोनों पक्षों में तनाव

जिला कलेक्टर ने भी दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। दोनों पक्षों में स्थिति तनावपूर्ण है। इसका कारण पूर्व राजपरिवार के सदस्यों के बीच लंबे समय से संपत्ति विवाद है। पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद ज्येष्ठ पुत्र के रूप में महेंद्र सिंह का 19 नवंबर 1984 को सिटी पैलेस उदयपुर में तिलक कार्यक्रम हुआ था।

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राजशाही परंपरा पर उठ रहे सवाल

राजघरानों में राजगद्दी के लिए विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में यह मामला जमकर वायरल हो रहा है। लिहाजा, कुछ लोग लोकतंत्र के इस दौर में राजतंत्र परंपरा वाले इस उत्सव को सही मान रहे हैं तो कुछ लोगों को परंपरा निर्वाह वाले इस पूरे कार्यक्रम पर उंगली उठाने का मौका मिल गया। इस परंपरा पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विश्वराज सिंह मेवाड़ वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक हैं। उनकी पत्नी महिमा सिंह राजसमंद से सांसद हैं। अब ये दोनों अपने राजशाही हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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Written By

Deepak Pandey

First published on: Nov 25, 2024 08:10 PM

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