Rajasthan News: राजस्थान में कक्षा 11 और 12 के सिलेबस में ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ किताब पढ़ाई जाती है। इसके दो भाग हैं। सूबे के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आरोप लगाया है कि इस किताब में कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार का जमकर महिमामंडन किया गया है। जबकि बीजेपी नेताओं, प्रधानमंत्री मोदी, जनसंघ और दूसरे संगठनों का जिक्र नाममात्र का है। किताब के पार्ट-2 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें कवर पर हैं, जबकि अंदर कांग्रेस के 15 नेताओं को प्रमुखता से जगह दी गई है। वहीं बाबा साहब आंबेडकर, शास्त्री और सरदार पटेल जैसे राष्ट्रीय नेताओं को या तो नजरअंदाज किया गया है या महज दो-चार लाइनों में समेट दिया गया है। मंत्री ने इस किताब को तुरंत प्रभाव से बैन कर दिया गया है।
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नहीं जोड़े जाएंगे नंबर
शिक्षा मंत्री मदन ने का दावा है कि ये किताब पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तैयार करवाई गई थी। इसे 4.5 लाख छात्रों को पढ़ाया जा रहा था। इस किताब को बैन करने के बाद मंत्री ने कहा है कि इस विषय के अंकों को स्टूडेंट्स के रिजल्ट में नहीं जोड़ा जाता, इसलिए किताब हटाने से अकादमिक नुकसान नहीं होगा।
जहर जैसी थी किताब, करोड़ों का नुकसान ठीक
किताब का सिलेबस पुराना है लेकिन हाल में सरकार ने 5 लाख किताबें छपवाईं थी, जो अब रद्दी हो गई हैं। इन किताबों की कीमत करीब 2.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस पर मंत्री दिलावर ने कहा कि राजस्थान अगर कोई किताब जहर जैसी हो, तो उसे सिर्फ इसलिए नहीं पढ़ाया जा सकता कि उस पर करोड़ों खर्च हो चुके हैं। ये किताब भारत के इतिहास को नहीं, कांग्रेस की विचारधारा को पढ़ाती है।
कांग्रेस ने बताया- बदले की भावना
मामला जब तूल पकड़ा तो कांग्रेस ने भी मोर्चा खोला। मंत्री दिलावर के फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस का कहना है कि यह किताब ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और बैन का फैसला सिर्फ सियासी बदले की भावना से लिया गया है। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मदन दिलावर ने सस्ती लोकप्रियता के लिए यह कदम उठाया है। जब बीजेपी का कोई योगदान इतिहास में नहीं था, तो किताब में उन्हें जबरन क्यों घुसाया जाए?
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