जयपुर: क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में कई वर्षों से नए जिले बनाने की मांग की जा रही है। प्रदेश में नए जिलों के गठन की कवायद तेज हो गई। आपकी जानकारी के लिए बता दें सीएम गहलोत ने नए जिला बनाने के लिए पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। यह कमेटी अगले 2 महीने में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो गहलोत सरकार 5 वें और अंतिम बजट से पहले नए जिलों की घोषणा करना चाहती है। सरकार से जुड़े सूत्रों की माने तो नए जिलों के गठन से सरकार को चुनावी लाभ की उम्मीद है, ऐसे में सरकार किसी भी कीमत पर पांचवें और अंतिम बजट से पहले नए जिलों की घोषणा करके एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी में हैं।
इस बात को इसलिए भी बल मिल रहा है कि रामलुभाया कमेटी जिस तेजी से रिपोर्ट पर काम कर रही है, उससे लग रहा है कि सरकार पांच से छह नए जिले बना सकती है। कोटपूतली, बालोतरा, फलोदी, डीडवाना, ब्यावर, भिवाड़ी नए जिले बनाने की रेस में आगे हैं, हालांकि इस पर सरकार के स्तर पर ही फैसला होगा।
बता दें कि रामलुभाया कमेटी को विधायकों, नेताओं के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने भी जिला बनाने के लिए अलग-अलग ज्ञापन दिए हैं। रामलुभाया कमेटी नए जिलों के लिए आई डिमांड के बाद कमेटी अब रिपोर्ट तैयार करने के काम में जुटी है। हर जगह का डिटेल से ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। कौन सा क्षेत्र या कस्बा जिला बनने के मापदंड पूरे करता है, कौन सा नहीं, कौन से फैक्ट पक्ष या विपक्ष में हैं, इसका उल्लेख रिपोर्ट में होगा।
यह जानकारी भी मिल रही है कि राजस्थान में 60 जगहों से नए जिला बनाने की मांग उठी है। जिसमें ब्यावर, हिंडौन, कोटपूतली, बालोतरा, बहरोड़, निवाई, हिंडौन, गंगापुर सिटी सहित करीब एक दर्जन ऐसे क्षेत्र है जहां पर लगातार जिला बनाने की मांग और उसको लेकर आंदोलन होते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 13 साल से कोई नया जिला नहीं बना है। वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार में 26 जनवरी 2008 प्रतापगढ़ आखिरी जिला बना था।
आपको यह भी बता दें कि कुछ महीने पहले बाड़मेर के कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत ने बालोतरा को जिला बनाने की मांग पूरी नहीं होने तक नंगे पैर रहने की कसम खाई थी।