Taran Taran Fake Encounter Update: पंजाब के तरनतारन जिले के फर्जी एनकाउंटर मामले में SSP-DSP समेत 5 पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया गया है, जिन्हें 4 अगस्त दिन सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। 1993 में 2 एनकाउंटर करके 7 युवकों की जान ली गई थी। मामले में मोहाली की CBI कोर्ट ने सभी 5 पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया है। पीड़ित परिवारों ने कोर्ट के फैसले पर संतुष्टि जताई है। दोषी ठहराए जाने के बाद सभी 5 दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
CBI Court Mohali convicts five retired Police Officers in a fake encounter case pic.twitter.com/U3baIY99Jn
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) August 1, 2025
5 आरोपियों की कोर्ट ट्रायल के दौरान हुई मौत
बता दें कि मामले में पुलिस ने 10 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया था। इन 10 आरोपियों में से 5 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। बाकी 5 को आज एक अगस्त 2025 को दोषी करार दिया गया है, जिनके नाम रिटायर्ड SSP भूपेंद्रजीत सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर सूबा सिंह, रिटायर्ड DSP दविंदर सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर रघुबीर सिंह और ASI गुलबर्ग सिंह हैं। CBI की मोहाली कोर्ट ही पांचों दोषियों को IPC की धारा 302 (हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत सजा सुनाएगी।
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क्या है फर्जी मुठभेड़ का मामला?
बता दें कि साल 1993 में 7 युवकों को 2 अलग-अलग मुठभेड़ में मार दिया गया था। युवकों को दोषी पुलिसवाले घर में घुसकर जबरन उठाकर ले गए थे। पांचों दोषियों ने युवकों को कई दिन हिरासत में रखकर प्रताड़िता किया। युवकों के घरों जबरन रिकवरी दिखाई गई। इस बीच युवकों के परिजनों को पता चला कि उनके बेटों को एनकाउंटर में मार दिया गया। एनकाउंटर तरनतारन के थाना वैरोवाल और थाना सहराली की पुलिस ने किए थे। एनकाउंटर की फर्जी FIR दर्ज की गई थीं। वहीं दोषियों ने जिन 7 युवकों की जान ली थी, उनमें से 4 युवक स्पेशल पुलिस अफसर थे। दोषियों ने युवकों को आतंकवादी बताकर उनका एनकाउंटर किया था।
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फल विक्रेता का भी हुआ था फर्जी एनकाउंटर
22 जून 1993 को तरनतारन के फल विक्रेता गुलशन कुमार को उनके घर से पुलिस ने उठाया था। एक महीना अवैध हिरासत में रखने के बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में उसे मार दिया गया। पुलिस ने गुलशन और 3 अन्य युवकों करनैल सिंह, जरनैल सिंह, और हरजिंदर सिंह को आतंकवादी करार देकर मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था। उनके शवों को बिना परिवार को बताए लावारिस तरीके से जला भी दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1995 में CBI ने मामले की जांच शुरू की थी। 6 जून 2024 को मोहाली की CBI कोर्ट ने तत्कालीन SHO गुरबचन सिंह को आजीवन कारावास और तत्कालीन DSP दिलबाग सिंह को 7 साल की सजा सुनाई थी। CBI ने 32 गवाहों के बयानों और सबूतों के आधार पर साबित किया था कि फर्जी एनकाउंटर किया गया था।