Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ से संबंधित प्रस्तावित विधेयक को फिलहाल संसद में पेश न करने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पंजाब से जुड़े किसी भी मुद्दे में राज्य की जनता और सरकार की राय लेना बेहद जरूरी है. आपको बता दें कि सीएम मान का यह बयान उस समय आया जब गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव को लेकर कोई विधेयक नहीं लाया जाएगा.
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब राज्यों को सम्मान के साथ निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाता है. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि पंजाब के हितों और भावनाओं को अनदेखा कर किसी भी केंद्रीय निर्णय को स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी पंजाब से संबंधित हर बड़े फैसले से पहले राज्य से विचार-विमर्श किया जाएगा, ताकि किसी तरह की गलतफहमी या विवाद न हो.
गृह मंत्रालय के स्पष्टीकरण के बाद पंजाब की राजनीतिक हलचल में हल्का बदलाव देखा गया. जिसके चलते मंत्रालय ने कहा कि चंडीगढ़ से जुड़े बदलावों पर आधारित कोई विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश नहीं होगा. यह बयान पंजाब में उठे राजनीतिक सवालों और जनता की चिंता को देखते हुए बेहद अहम माना जा रहा है. मुख्यमंत्री मान ने दोहराया कि चंडीगढ़ का मुद्दा केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि पंजाब की पहचान, अधिकार और सम्मान से जुड़ा है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को खुशी से कहा कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ विधेयक को वापस लेने और इसे संसद में न लाने का फैसला किया है.
आम आदमी पार्टी के सांसद मलविंदर सिंह कंग और पार्टी के अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के रुख की सराहना करते हुए कहा कि पंजाब के अधिकारों के मुद्दे पर मान सरकार ने स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ स्थिति अपनाई है. नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री मान ने इस विषय पर पंजाब की आवाज को प्रभावी रूप से केंद्र तक पहुंचाया है, जिससे राज्य की चिंताओं को राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से सुना गया.
पंजाब में जारी राजनीतिक बयानबाजी और कई दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शांत, संतुलित और जिम्मेदार रुख अपनाते हुए चंडीगढ़ मुद्दे को सही दिशा में आगे बढ़ाया. उनके इस व्यवहार को राज्यहित में एक परिपक्व और सूझबूझ भरा कदम माना जा रहा है. समग्र रूप से, चंडीगढ़ विवाद के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने न केवल नेतृत्वकारी भूमिका निभाई, बल्कि राज्य के हितों और अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोबारा स्पष्ट किया. उनकी इस भूमिका को पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक वर्गों द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है.










