प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की चल रही जांच के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और मोहाली विधायक कुलवंत सिंह के आवास पर छापेमारी की। इसके साथ ही पूरे पंजाब में उनसे जुड़े विभिन्न स्थानों की तलाशी ली गई। ईडी की दिल्ली इकाई की टीमों ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर सुबह मोहाली के जनता लैंड प्रमोटर्स लिमिटेड (जेएलपीएल) इलाके में कुलवंत सिंह के आलीशान आवास की तलाशी शुरू की। जेएलपीएल सिंह की रियल एस्टेट कंपनी है। ईडी सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के वक्त सिंह घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों से केंद्रीय एजेंसी की टीम ने पूछताछ की। कुलवंत सिंह कथित तौर पर पंजाब के सबसे अमीर विधायक हैं और उनसे जुड़े पूरे पंजाब में विभिन्न स्थानों पर भी समानांतर छापेमारी की गई।
क्यों की गई छापेमारी?
ईडी सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी पर्ल एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) में हुए घोटाले से जुड़ी है। आरोप है पीएसीएल के निदेशकों ने कथित तौर पर निवेशकों के पैसे को कई स्थानों पर स्थित फर्जी कंपनियों में स्थानांतरित करके गबन किया था। इसी मामले की जांच ईडी कर रही है।
पिछले साल भी हुई थी रेड
ईडी की टीम ने पिछले साल भी कुलवंत सिंह के घर पर दबिश दी थी। इसके बाद उनसे पूछताछ की गई थी। कुलवंत सिंह 2021 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव में मोहाली से चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे। इससे पहले 2015 में वह कांग्रेस के समर्थन से मोहाली नगर निगम के मेयर बने थे। फिर 2017 में शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए, लेकिन 2021 के निकाय चुनावों में निर्दलीय के रूप में असफल होने के बाद उन्हें ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निष्कासित कर दिया गय था।
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के ठिकानों पर भी छापेमारी
बहुचर्चित पीएसीएल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के जयपुर स्थित ठिकानों पर भी छापेमारी की है। कहा जा रहा है कि खाचरियावास की कंपनी हिमलक्स प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2008 से 2012 के बीच पीएसीएल को करीब 170 करोड़ रुपये की जमीन बेची थी। ईडी को संदेह है कि इस लेन-देन में अनियमितताएं हुई हैं और कंपनी द्वारा कुछ धन विदेश भेजा गया था। इसी सिलसिले में ईडी ने 12 अगस्त 2020 को फेमा के तहत नोटिस जारी करते हुए खाचरियावास से लंबी पूछताछ की थी। ईडी की जांच में खाचरियावास की कंपनी की इस घोटाले में करीब 20 से 30 करोड़ रुपये की भूमिका होने का अनुमान है। यह कार्रवाई उस समय की जा रही है जब पीएसीएल की संपत्तियां फिलहाल सेबी के नियंत्रण में हैं और मामले की जांच जारी है। आरोप यह भी सामने आ रहे है कि प्रताप सिंह और उनके भाई की तरफ से इन्हें ही बेचा जा रहा था।
PACL घोटाला देश के सबसे बड़े चिट फंड घोटालों में से एक
जयपुर की रजिस्ट्रर्ड कंपनी पीएसीएल घोटाला देश के सबसे बड़े चिट फंड घोटालों में से एक माना जाता है, जिसमें करीब 49100 करोड़ रुपये की जनता की पूंजी फंसी है। अकेले राजस्थान में करीब 28 लाख निवेशकों ने लगभग 2850 करोड़ रुपये पीएसीएल में लगाए थे। साल 2011 में सबसे पहले चौमू में इसे लेकर मामला दर्ज किया गया था। वहीं, प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस पूरे रेड को राजनीतिक साजिश के तहत की गई कार्रवाई बताते हुए कहा है कि वह लोकतांत्रिक तरीके से इसका सामना करेंगे। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ने भी ईडी की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे कांग्रेस नेताओं को डराने की साजिश करार दिया है।
क्या है PACL मामला?
पर्ल एग्रो कॉरपोरेशन लिमिटेड (PACL) ने लाखों निवेशकों को मोटा मुनाफा दिलाने का सपना दिखाकर उनसे हजारों करोड़ रुपये जुटाए थे। बाद में न केवल निवेशकों के पैसे डूबे थे, बल्कि PACL की संपत्तियों की अवैध बिक्री भी शुरू हो गई। ईडी को शक है कि इन्हीं संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में कुछ राजनीतिक और कारोबारी चेहरे शामिल हैं। पीएसीएल के निदेशकों ने कथित तौर पर निवेशकों के पैसे को कई स्थानों पर स्थित फर्जी कंपनियों में स्थानांतरित करके गबन किया था। फिर इन पैसों को नकद में निकालकर पीएसीएल के प्रमुख सहयोगियों को सौंप दिया गया और फिर हवाला के जरिए भारत से बाहर की कंपनियों को संपत्ति खरीदने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था।