Chandigarh Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के बीच नामांकन से एक दिन पहले अकाली दल से रिजाइन करने वाले बुटेरला ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। चुनाव के बीच उनका जाना अकाली दल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उन्होंने नामांकन से एक दिन पहले ही अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। फिलहाल हरदीप बुटेरला चंडीगढ़ नगर निगम में पार्षद हैं। वे सीनियर डिप्टी मेयर रह चुके हैं। दो बार पहले भी निगम चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। उन्होंने चुनाव न लड़ने का कारण पैसे की कमी बताया था।
Hardeep Singh Buterla, who was the candidate of the Akali Dal from Chandigarh and who recently resigned from the party, joined AAP today. CM Bhagwant Mann welcomed him into the party. pic.twitter.com/r2TdmC2fFX
---विज्ञापन---— Gagandeep Singh (@Gagan4344) May 9, 2024
हरदीप ने पार्टी पर सपोर्ट नहीं करने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। बुटेरला ने कहा था कि उनको पार्टी से जितना सहयोग चाहिए, उतना मिल नहीं रहा। पार्टी ने टिकट देने से पहले भरोसा दिया था कि उनका पूरा ख्याल रखा जाएगा। हर पहलू को ध्यान में रख चुनाव लड़वाया जाएगा, लेकिन मदद के लिए कोई सीनियर लीडर नहीं आया। पार्टी ने अपनी चंडीगढ़ यूनिट के प्रति बेरुखी अपना ली है। जिसकी वजह से कड़ा फैसला ले रहा हूं।
हरदीप सिंह गांव बुटेरला के रहने वाले हैं। 41 वर्षीय हरदीप की चंडीगढ़ के साथ लगते गांवों में वोटरों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। इससे पहले 2006 में उनके पिता गुरनाम सिंह और 2011 में भाई मलकियत सिंह पार्षद चुने गए थे। इसके बाद जब उनके भाई मलकियत सिंह का देहांत हुआ, तब हरदीप ने 2015, 2016 और 2021 में लगातार जीत दर्ज की। वे सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। 2018 में हरदीप सिंह को शिअद ने चंडीगढ़ प्रेसिडेंट के तौर पर नियुक्त किया था।
#WATCH | Shiromani Akali Dal Chandigarh Lok Sabha candidate Hardeep Singh Butrela decided not to contest the election and resigned from the party
He says, "The party had promised that they will handle the entire campaign, the party will take care of every aspect but no senior… pic.twitter.com/StCTzmhKTQ
— ANI (@ANI) May 6, 2024
चंडीगढ़ सीट पर वोटिंग 1 जून को
अकाली दल ने उनको लगभग 20 दिन पहले टिकट दिया था। इसके बाद उनकी किसी ने खैर खबर नहीं ली। ये कोई निगम का इलेक्शन नहीं है, जिसको वे अपने सिर पर लड़ लेंगे। सिर्फ प्रचार करने से काम नहीं चल सकता। पार्टी के सीनियर लीडरों से उनको हर सपोर्ट की जरूरत थी। पार्टी छोड़ने से पहले उन्होंने कहा था कि वे संगठन से बात कर चुके हैं। चंडीगढ़ लोकसभा सीट से उनको अकाली दल ने प्रत्याशी बनाया था। चंडीगढ़ सीट पर एक जून को वोटिंग होनी है।