दिल्ली शराब घोटाले की जांच को आगे बढ़ाते हुए बड़ा एक्शन लिया गया है। पंजाब एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के 10 अधिकारियों को जांच के लिए बुलाया गया है। CBI ने सभी अधिकारियों को सम्मन भेज दिए हैं और सोमवार-मंगलवार को उन्हें दिल्ली में पेश होने को कहा गया है। IPC की धारा 160 के तहत सम्मन CBI के अतिरिक्त SP राजीव कुमार ने जारी किए हैं। मामले में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मुख्य आरोपी हैं।
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क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
घोटाला दिल्ली सरकार की शराब नीति 2021-22 से जुड़ा है। 1934 करोड़ के घोटाले के आरोप हैं। जांच करते हुए ED कुल 128.78 करोड़ की संपत्ति जब्त का चुकी है। ED के अलावा CBI भी केस की जांच कर रही है। मामले में मुख्य आरोपी पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हैं, जो 26 फरवरी 2023 से जेल में हैं। CBI शराब नीति में अनियमितता और भ्रष्टाचार के एंगल से जांच कर रही है। ED मनी लॉन्ड्रिंग का पहलू खंगाल रही है।
शराब कारोबार को निजी हाथों में देने पर विवाद
बता दें कि दिल्ली सरकार की शराब नीति 17 नवंबर 2021 को लागू हुई थी। पॉलिसी के तहत शराब कारोबार को निजी हाथों में सौंप दिया गया था। दिल्ली में 32 जोन हैं। एक जोन में 27 दुकानें खोली जा सकती हैं। दिल्ली में शराब की कुल 849 दुकानें हैं। वहीं शराब नीति पर विवाद तब शुरू हुआ, जब दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों के टेंडर देने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाने की कोशिश की, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
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मनीष सिसोदया जमानत के लिए कर रहे प्रयास
भ्रष्टाचार मामले में CBI अब तक मनीष सिसोदिया विजय नायर, बुच्ची बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमनदीप ढल को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। मनीष सिसोदिया को छोड़कर सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कुल 25 आरोपी हैं।