दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
Lok Sabha Election 2024: चार सौ पार के लक्ष्य को लेकर आम चुनाव में उतरी एनडीए को पंजाब में तगड़ा झटका लगा है। कई महीनों से दो कदम आगे, दो कदम पीछे चल रही अकाली दल के साथ गठबंधन की भाजपा की कोशिश अंततः धड़ाम हो गई। इस तरह पंजाब में भारतीय जनता पार्टी को मिलने वाली संभावित सफलता अब कठघरे में है।
गणित बिगाड़ सकते हैं संगठन
यहां 13 सीटों के लिए अब 4 दल भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल सीधे आमने-सामने होंगे। वोट काटने के लिए बसपा, सिमरन जीत सिंह मान और किसानों का संगठन भी गठजोड़ करके वोट की गणित बिगाड़ सकता है। ऐसे में पंजाब का चुनाव लोकसभा में किस करवट बैठेगा, कुछ कहना बेहद मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि भाजपा को यहां से अपेक्षित सफलता मिलने की संभावना फिलहाल क्षीण होती हुई दिखाई दे रही है।
Shiromani Akali Dal is not just a political party driven by number games, unlike some national parties. We are a 103-year-old movement with a clear vision and we have always stood by and for principles. That will continue to be our goal. Shiromani Akali Dal core committee has… pic.twitter.com/aQIyndCbZf
---विज्ञापन---— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) March 26, 2024
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने
अगर अकाली दल-भाजपा का गठजोड़ एक साथ मैदान में होता तो परिणाम कुछ सुखद आ सकते थे, पर अब परिणामों पर सबको नजर रखनी होगी। इससे पर्दा 4 जून को ही उठेगा, जब आम चुनाव के परिणाम सामने होंगे। पंजाब चुनाव में देश वाला फॉर्मूला नहीं लगेगा। कारण यह है कि इंडिया गठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस यहां आमने सामने होंगे। अरविन्द केजरीवाल के जेल जाने का भी यहां वोट के संदर्भ में सकारात्मक असर पड़ सकता है क्योंकि राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार है। वह यह स्थापित करने में जुट गई है कि केंद्र में भाजपा सरकार ने जान-बूझ कर उनके नेता को जेल भेज दिया है। इसका कुछ न कुछ नुकसान भारतीय जनता पार्टी के कैंडीडेट्स को हो सकता है।
बीजेपी सभी सीटों पर उतार सकती है उम्मीदवार
हालांकि, यह बात कैंडीडेट्स पर निर्भर करेगी क्योंकि अभी तक गठबंधन की आस में बैठे भाजपा नेताओं ने अपनी सूची को अंतिम रूप नहीं दिया है, पर जब अकाली दल के साथ अंतिम रूप से गठबंधन नहीं हो पाया है तो यह भी तय है कि भारतीय जनता पार्टी सभी 13 सीटों पर अपने कैंडीडेट्स उतार सकती है। उसके पास कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ जैसे कांग्रेसी नेताओं का नेतृत्व भी है। पिछला चुनाव भाजपा-अकाली दल मिलकर लड़े थे तब भी भाजपा को दो सीटें मिली थीं। बहुजन समाज पार्टी-सिमरन जीत सिंह मान-किसान मोर्चा के लोग भी गठबंधन के रूप में सामने आने को तैयार बैठे हैं, ऐसे में यह गठबंधन कितना जीत पाएगा, यह समय बताएगा, लेकिन यह तय है कि वोट तो उसे भी मिलना है।
आम आदमी पार्टी की प्लानिंग
वरिष्ठ पत्रकार राजीव तनेजा कहते हैं कि मौजूदा सूरत में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि अकाली-भाजपा गठबंधन न हो पाने की स्थिति में चुनाव की दशा बदल चुकी है। वे कहते हैं कि राज्य में आम आदमी पार्टी की स्पष्ट बहुमत की सरकार है। इस दल के मुखिया अरविन्द केजरीवाल जेल जा चुके हैं। पूरी पार्टी पंजाब में पहले दिन से यही साबित करने में जुटी हुई है कि उनके नेता के साथ केंद्र सरकार ने अन्याय किया है। ईडी ने गलत तरीके से जेल भेजा है। चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है। अकाली दल की पहुंच गांवों में है, लेकिन अकेले वह क्या कर पाएगी, कितनी सीटें जीत पाएगी, अब यह सवाल है? इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
कांग्रेस का नुकसान तय
कांग्रेस पार्टी के कई बड़े कद्दावर नेता आज भाजपा के साथ हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ जैसे लोग भाजपा के लिए फील्डिंग कर रहे हैं, वे भाजपा को कितना और क्या फायदा पहुंचा पाएंगे यह भी समय बताएगा, लेकिन कांग्रेस का नुकसान तो तय है। इस गठबंधन के न हो पाने से भाजपा के 370 पार और एनडीए के चार सौ पार के आंकड़ों को पलीता लगने की आशंका है। यह बात आज की तारीख में है। राजनीति संभावनाओं की मंडी है। यहां कभी भी, कुछ भी संभव है। इसलिए आने वाले दिनों में हमें कुछ नया गठजोड़ देखने को मिले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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