भारतीय सेना युद्धाभ्यास त्रिशूल के जरिए लगातार अपनी ताकत दिखा रही है. जैसलमेर, थार जैसे रेतीले इलाके में अपने ताकत का परिचय देने के बाद भारत के तीनों सेनाओं ने मिलकर अरब सागर के तट पर अपनी क्षमता दिखाई है. यह युद्धाभ्यास अरब सागर के के किनारे माधवपुर तट पर किया गया. पहली बार भारतीय सेना के भारी बख़्तरबंद टैंक समुद्र के रास्ते सफलतापूर्वक तट पर उतारे गए, इस दौरान ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने न केवल भारत की युद्ध क्षमता को नई परिभाषा दी, बल्कि पाकिस्तान के रक्षा प्रतिष्ठान के भीतर चिंता की लहर भी पैदा कर दी है. जिस मधवापुर तट पर भारत की तीनों सेनाओं ने संयुक्त रूप से अपनी ताकत दिखाई , वहां से पाकिस्तान का कराची दूर नहीं है.

युद्धभ्यास त्रिशूल की समीक्षा लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और एयर मार्शल नागेश कपूर ने संयुक्त रूप से की. यह स्वयं इस बात का संकेत है कि भारत की सैन्य संरचना अब गहन Jointness की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी दौरान लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने कहा, ‘किसी भी प्रकार की चुनौती अगर आए, चाहे वो रेगिस्तान का इलाका हो, या रण या क्रीक तक का हो, दक्षिणी कमान हर चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है.’ उनका यह बयान बता है कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति में युद्ध के लिए तैयार है.
समुद्र पर नौसेना के जहाज, वायुसेना के फाइटर एयर-कवरेज और तट पर टैंकों की दहाड़
यह त्रिशूल की वह तस्वीर थी जिसने भारत की मल्टी डोमेन वार फाइटिंग क्षमता का सबसे सशक्त प्रदर्शन किया. यह अभ्यास केवल ताकत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि भविष्य के तटीय और अम्फीबियस युद्ध के लिए भारत की तैयारियों का घोषणापत्र था.
अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना और बहु-क्षेत्रीय एकीकृत अभियान प्रक्रियाओं का सत्यापन करना था. इसके तहत ऑपरेशनल प्लेटफॉर्म्स की इंटरऑपरेबिलिटी, नेटवर्क इंटीग्रेशन और जॉइंट ऑपरेशन्स में तालमेल को परखा गया. अभ्यास के दौरान संयुक्त खुफिया निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक और साइबर वारफेयर योजनाओं का भी सफल परीक्षण किया गया. इस दौरान भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत की भूमिका को भी भारतीय वायुसेना के जमीनी ठिकानों के साथ जोड़ा गया ताकि संयुक्त उड़ान अभियानों की मानक प्रक्रियाओं का सत्यापन किया जा सके और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान हो. एक्सरसाइज ‘त्रिशूल’ ने आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों पर आधारित स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग और आधुनिक युद्ध के नए खतरों से निपटने की तत्परता को भी प्रदर्शित किया.










