Who is Ramadas prini sivanadan: मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने पीएचडी के छात्र रामदास प्रिनी शिवानंदन को संस्थान से दो साल के लिए निलंबित कर दिया है। इंस्टीट्यूट ने उस पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संस्थान ने रामदास को इंस्टीट्यूट के सभी परिसरों से भी प्रतिबंधित कर दिया है।
The Tata Institute of Social Sciences (TISS) in #Mumbai has suspended #Dalit PhD scholar Ramadas Prini Sivanadan for two years for participating in protests against the #BJPGovt, according to the Progressive Students’ Forum.
---विज्ञापन---In a statement on Friday, the student group said,… pic.twitter.com/uvQJiAbAgS
— Hate Detector 🔍 (@HateDetectors) April 20, 2024
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दिल्ली में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे
इंस्टीट्यूट ने इसकी वजह रामदास के दिल्ली में आयोजित एक प्रदर्शन में शामिल होना बताया है। उधर, इस मामले में प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (PSF) ने आरोप लगाया कि यह निर्णय केंद्र सरकार की कथित छात्र विरोधी नीतियों का नतीजा है। वहीं, TISS ने रामदास द्वारा छात्रों के लिए बनाई गई अनुशासन संहिता का उल्लंघन करने की बात कही है।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार TISS ने 18 अप्रैल को रामदास को निलंबित किया है। इससे पहले संस्थान ने 7 मार्च को उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें रामदास पर दिल्ली में आयोजित प्रदर्शन में उनके शामिल होने पर आपत्ति जताते हुए उनसे अपना पक्ष रखने को कहा गया था। रामदास पर TISS के मुंबई कैंपस में भी छात्र अनुशासन संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
कौन है रामदास शिवानंदन?
रामदास फिलहाल मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से पीएचडी स्कॉलर है। वे प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम के पूर्व महासचिव भी रहे चुके हैं। दलित समुदाय से आने वाले रामदास वर्ममान में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और SFI महाराष्ट्र के संयुक्त सचिव भी हैं।
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निलंबन का विरोध
इस पूरे मामले में पीएसएफ ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि दिल्ली में आयोजन संसद मार्च राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के रूप में सत्तारूढ़ बीजेपी और उसकी छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ छात्रों की आवाज उठाने का एक प्रयास था। रामदास को संस्पेंड करना टाटा संस्थान की अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी सरकार की छात्र विरोधी नीति है।
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