Thane Hospital: महाराष्ट्र के ठाणे में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ गया है। एक और मरीज की मौत के बाद पिछले 24 घंटों में कुछ 18 मरीज दम तोड़ चुके हैं। बता दें कि शनिवार सुबह 10:30 बजे से लेकर रविवार सुबह 8:30 बजे तक 17 मरीजों की मौत हुई थी। इसके बाद एक और मरीज ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
मामले को लेकर जानकारी देते हुए सिविक कमिश्नर अभिजीत बांगर ने कहा कि मृतकों में 10 महिलाएं और 8 पुरुष शामिल हैं। इनमें 6 ठाणे, 4 कल्याण, 3 साहपुर, 1-1 भिवंडी, उल्हासनगर, गोवंडी के रहने वाले थे। एक अन्य मरीज की मौत के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है।
मुख्यमंत्री शिंदे ने दिए जांच के आदेश
घटना को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि पिछले 24 घंटों में अस्पताल में 18 मौतें दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति विस्तृत जांच करेगी। स्वास्थ्य सेवाओं के आयुक्त समिति का नेतृत्व करेंगे। सिविक कमिश्नर बांगर के मुताबिक, जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमें किडनी की पथरी, पैरालाइसिस, अल्सर, निमोनिया, विषाक्तता से लेकर सेप्टीसीमिया तक से जुझ रहे थे।
बांगर ने बताया कि कुछ मृतकों के परिजन ने इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए हैं, जो गंभीर आरोप हैं। उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों के बयान लिए जाएंगे, जिस पर जांच समिति गौर करेगी।
अप्रिय घटना से बचने के लिए अस्पताल में पुलिस तैनात
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस गणेश गावड़े ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन से हमें जानकारी मिली कि कुछ मरीज गंभीर हालत में भर्ती कराए गए थे, जिन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। डीसीपी ने कहा कि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए अस्पताल में पुलिस की टीम तैनात की गई है।
5 दिनों में 23 मरीजों की मौत
बता दें कि इससे पहले 10 अगस्त को भी अस्पताल में पांच मरीजों की मौत हुई थी। यानी पिछले पांच दिनों में अस्पताल में 23 मरीजों की मौत हो चुकी है। बता दें कि कलवा ठाणे शहर में आता है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ठाणे शहर से हैं। कलवा अस्पताल को ठाणे महानगरपालिका चलाती है जिस पर पिछले 30 साल से शिवसेना का राज है।
परिजनों का दावा : न डॉक्टर आ रहे थे, न दवा मिल रही थी
एक मृतक के परिजन के मुताबिक, डॉक्टर मरीजों की जांच करने नहीं आ रहे थे। मरीजों को समय पर दवा नहीं दी गयी। अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिलने से मरीजों की मौत हो गयी है। एक अन्य मृतक के रिश्तेदार ने बताया कि हमने अपने मरीज को शुगर और अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया था। बाद में हालत गंभीर हो गयी। आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन इंसुलिन नहीं दिया गया। बार-बार हमने इस बारे में डॉक्टर से अनुरोध किया था।
आखिर क्यों लगातार हुई मरीजों की मौत?
कहा जा रहा है कि अपर्याप्त डॉक्टर क्षमता और मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण 24 घंटे में 18 मरीजों की जान चली गयी। इनमें से 13 मरीज आईसीयू में और 5 मरीज जनरल वार्ड में थे। इस बीच, बताया जा रहा है कि कुछ मरीज़ निजी अस्पतालों से अंतिम समय में आने के कारण मर गए और कुछ की उम्र 80 वर्ष से अधिक थी।
शिंदे गुट के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने स्वीकार किया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है। कहा कि चूंकि ठाणे का सिविल अस्पताल बंद है, इसलिए ठाणे जिले के सभी मरीज इलाज के लिए यहां आ रहे हैं। उसके लिए डॉक्टरों और चिकित्सा व्यवस्थाओं की कमी है।