महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के एक और मंत्री मुश्किलों में गिरते नजर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जल संपदा मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद मंत्री समेत 54 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मामला किसानों के साथ धोखाधड़ी से जुड़ा है। मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने शूगर मिल के निदेशकों के साथ मिलकर किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और 9 करोड़ रुपये का लोन ले लिया। मामला लोनी पुलिस थाने में 28 अप्रैल को दर्ज किया गया। आरोपियों में पाटिल सहकारी चीनी मिल के पूर्व अध्यक्ष और निदेशकों के साथ-साथ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी भी शामिल हैं।
जानें पूरा मामला
बता दें कि पूरा मामला 2004 से जुड़ा है। पुलिस में इसकी शिकायत गन्ना किसान और सहकारी चीनी मिल के सदस्य बालासाहेब विखे द्वारा दर्ज कराई गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि चीनी मिल के तत्कालीन चेयरमैन और डायरेक्टर ने कथित रूप से सदस्य किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उनका उपयोग लोन लेने के लिए किया। इसके बाद बैंक अधिकारियों की मदद से 3 करोड़ और 5 करोड़ रुपये के लोन लिए गए।
शिवसेना ने मांगा इस्तीफा
इतना ही नहीं किसानों के नाम पर लिए गए इस लोन के पैसे खातों में नहीं पहुंचे। इसके अलावा आरोपियों ने सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली लोन माफी योजना का भी फायदा उठाया। मामले में शिवसेना यूबीटी ने विखे पाटिल का इस्तीफा मांगा है। पार्टी ने कहा कि यह महायुति सरकार के लिए काफी शर्मनाक स्थिति है।
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1995 से विधायक हैं विखे पाटिल
बता दें कि विखे पाटिल दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल के बेटे हैं। वे 2019 में अपने बेटे और समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। पाटिल 1995 से लगातार आठवी बार शिरडी विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। वे वर्तमान सरकार में जल संपदा मंत्री हैं। इससे पहले वे कांग्रेस की सरकारों के दौरान भी मंत्री रह चुके हैं।
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