Palghar Lynching Case: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पालघर लिंचिंग मामले की सीबीआई से जांच कराएगी। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह जानकारी दी है। इससे पहले 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि जांच को सीबीआई को सौंपने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था। अब केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दी है।
दरअसल, पालघर में दो साधुओं की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मामले को लेकर शशांक शेखर झा ने याचिका दायर की थी। वहीं, मृत साधुओं के परिवारवालों और जूना अखाड़ा के साधुओं ने भी याचिका दाखिल की थी। याचिकाओं में कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
तत्कालीन उद्धव सरकार ने याचिका का विरोध किया था। हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा सरकार के रुख में बदलाव आया। यह मामला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ में था।
Maharashtra government informs the Supreme Court that it has decided to hand over to CBI the probe into the Palghar lynching case wherein two Sadhus were lynched to death. pic.twitter.com/4CRXFBOwAa
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) April 28, 2023
11 जून को जारी हुआ था नोटिस
11 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया था। 11 अक्टूबर 2022 को महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वे सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। यह भी बताया था कि सभी दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
यह है पूरा मामला
16 अप्रैल 2020 को देशभर में कोविड के चलते लॉकडाउन था। महाराष्ट्र के दो साधु और उनका ड्राइवर गाड़ी से गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से निकले थे। लेकिन पालघर के गडचिनचिले गांव में भीड़ ने उनके वाहन को रोका और पीट-पीटकर हत्या कर दी।
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