महाराष्ट्र के पुणे में आईटी हब कहे जाने वाले हिंजेवाड़ी इलाके में बुधवार सुबह हुए अग्निकांड का असली सच सामने आ गया है। दरअसल, टेम्पो ट्रैवलर में आग लगी नहीं, बल्कि लगाई गई थी और यह खुलासा CCTV फुटेज से हुआ। आग लगने से 4 लोग जिंदा जलकर मर गए। मारे गए लोग सुबह-सुबह दफ्तर जा रहे थे और यह कर्मचारी व्योमा ग्राफिक्स कंपनी के थे। हादसे के बाद ट्रैवलर के ड्राइवर जनार्दन हंबारिडकर ने पुलिस को बताया था कि उसके पैर के नीचे आग लगी थी, जो बड़ी तेजी से फैली, लेकिन ड्राइवर का यह सफेद झूठ 48 घंटे भी नहीं टिक पाया। क्योंकि पुलिस ने उससे सच उगलवा लिया।
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ड्राइवर समेत 6 लोग हुए थे घायल
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, ड्राइवर जनार्दन हंबारिडकर को दीवाली का बोनस नहीं मिला था और ओवरटाइम करने से वह परेशान था, इसलिए उसने टेम्पो ट्रैवलर में आग लगा दी। हादसे के समय ट्रैवलर में ड्राइवर समेत 12 लोग सवार थे, जिसमें पीछे का दरवाजा बंद होने से 4 लोग जिंदा जलकर मर गए। ड्राइवर समेत 6 लोग घायल हुए। आग लगाई गई है, इसका शक न हो, इसलिए ड्राइवर ने बाहर निकलकर स्थानीय लोगों की मदद से टेम्पो में फंसे लोगों को बचाने की नौटंकी की। मरने वालों में शंकर शिंदे (60), सुभाष भोसले (42), गुरुदास लोकरे (40) और राजू चव्हाण (40) शामिल हैं।
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CCTV ने खोला हादसे का राज
पुलिस को ड्राइवर जनार्दन के टेम्पो ट्रैवलर में आग लगाने की कहानी पर विश्वास नहीं हुआ। इसलिए पुलिस ने हादसास्थल पर लगे CCTV कैमरों को खंगाला तो पता चला की आग लगी नहीं, बल्कि ड्राइवर ने ही लगाई है। पुलिस ने सख्ती बरती तो ड्राइवर ने आग लगाने की बात को कबूल लिया। पुणे पुलिस इस मामले में अब आगे की कानूनी करवाई कर रही है। वहीं पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है, ताकि हादसे में मारे गए लोगों और उनके परिजनों को इंसाफ मिले।