Pune Hit And Run Case Latest Update: पुणे के पोर्शे रोड़ हादसे में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब खबर यह है कि इस मामले के मुख्य नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह केस चलाया जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या एक नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह केस चलाया जा सकता है? जी हां ऐसा हो सकता है।
दिसंबर 2012 में दिल्ली निर्भया रेप केस ममाले में एक आरोपी की उम्र 17 साल थी। ऐसे में इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले इस आरोपी को बाल सुधार गृह में रखा गया था। वहीं बाकी अपराधियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था। 2014 में सरकार बदलने के तत्कालीन महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस कानून में बदलाव के लिए पूर्व न्यायाधीश जेएस वर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने जुवेनाइल जस्टिस के तहत उम्र की सीमा 18 से घटाकर 16 करने का विरोध किया था।
जानें क्या है जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशें
इसके बाद 2015 में जस्टिस वर्मा कमेटी ने सिफारिशों को ध्यान में रखकर ही इस कानून में बदलाव किया गया। इस कानून में एक नया प्रावधान सीसीएल जोड़ा गया। इसके तहत अगर कोई नाबालिग जघन्य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क की व्यवहार किया जा सकता है लेकिन ये तय करने का अधिकार कोर्ट के पास होगा। इस मामले में आरोपी को अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 15 में कहा गया है कि जब 16 साल या उससे अधिक उम्र का बच्चा जघन्य अपराध करता है, तो जुवेनाइल बोर्ड तय करेगा कि उसके साथ नाबालिग जैसा व्यवहार हो या नहीं।
जुवेनाइल बोर्ड यह भी देखता है नाबालिग ने अपराध को किस तरीके से अंजाम दिया है? इसके साथ ही बोर्ड यह भी देखता है कि आरोपी की मंशा क्या थी? उसकी शारीरिक क्षमता कितनी है और अपराध करते समय उसकी परिस्थिति क्या थी?
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