Malegaon Cooperative Sugar Mill: महाराष्ट्र के सहकार क्षेत्र में मालेगांव सहकारी चीनी मिल का चुनाव इस बार खासा चर्चा में है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और सुबे के खजाने की चाबी अपने पास रखने वाले वित्त मंत्री अजित पवार का सीधे चुनावी मैदान में उतरना है। उन्होंने ‘ब’ श्रेणी से नामांकन दाखिल कर इस चुनाव को न केवल प्रतिष्ठा का विषय बना दिया है, बल्कि पूरे राज्य का ध्यान इस चीनी मिल पर केंद्रित कर दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस ने इस चुनाव को पार्टी की साख से जोड़ा है, तो दूसरी तरफ उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चंद्रराव तावरे और रंजन तावरे का ‘सहकार बचाव पैनल’ तावरे परिवार का इतिहास इस मिल से जुड़ा रहा है। इससे पहले दो बार उन्होंने पवार परिवार से इस मिल की सत्ता छीन ली थी। अब यह संघर्ष तीसरे चरण में प्रवेश कर चुका है, जिसमें स्टेक काफी ऊंचे हैं।
मालेगांव चीनी मिल के पुराने सदस्य हैं शरद पवार
मालेगांव चीनी मिल के सदस्य खुद शरद पवार पुराने सदस्य हैं और अजित पवार भी इस मिल के सदस्य हैं। पिछली बार जब तावरे पैनल ने जीत दर्ज की थी, तब भी अजित पवार उपमुख्यमंत्री थे (लेकिन विपक्ष में)। इस बार वे सत्ताधारी पक्ष में हैं, बावजूद इसके चुनाव में उनकी रणनीति रक्षात्मक नजर आ रही है। पिछले कुछ दिनों में तावरे पैनल ने जनसभाओं में अजित पवार पर तीखे आरोप लगाए हैं। वहीं, अजित पवार ने 6 महीने पहले से ही रणनीतिक तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने मिल के कार्यक्षेत्र का दौरा कर लोगों की नाराजगी जानी और उसके अनुसार योजनाएं तैयार कीं।
‘कंबल बैठकों’ के जरिए जनता से सीधा संवाद
जानकारों के अनुसार, विधानसभा या लोकसभा जैसी चुनावी समीकरण यहां लागू नहीं होते हैं। इसलिए अजित पवार इस चुनाव को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं और हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। दूसरी ओर तावरे पैनल भी पीछे नहीं हैं। वे ‘कंबल बैठकों’ के जरिए जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं और अपने विचार साफ रूप से रख रहे हैं। अब जबकि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में हैं। मालेगांव की यह टक्कर सिर्फ एक मिल तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह राज्य की सहकार राजनीति की दिशा तय करने वाली बड़ी लड़ाई बन गई है।
अजित पवार ने चुनाव लड़ने की तैयारी तेज की
मालेगांव चीनी मिल चुनाव में भतीजे ने खुद अजित पवार ने तो चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है, लेकिन राजनीति के धुरंधर शरद पवार इस चुनाव में क्या करेंगे, इसे लेकर शरद पवार ने अपने पत्ते नहीं खोले। गत लोकसभा चुनाव और विधानसभा में चाचा और भतीजा आमने-सामने थे। लोकसभा में चाचा तो विधानसभा में भतीजा कामयाब रहा। इस सहकारी चीनी मिल चुनाव को लेकर राजनीति जमकर हो रही है।
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