Guillain-Barre Syndrome cases in Maharashtra: महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार (8 मार्च) को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में बढ़ोतरी की जानकारी दी है। महाराष्ट्र में अबतक कुल 225 गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों की पहचान की गई है। इनमें से 197 की पुष्टि हुई है और 28 संदिग्ध हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इस गंभीर बीमारी के कारण राज्य में अब तक कुल 12 मौतें हुई हैं, जिनमें से 6 की पुष्टि हुई है और 6 संदिग्ध हैं।
ज्यादातर मामलों की पहचान पुणे में की गई
जीबीएस से प्रभावित मरीज ज्यादातर पुणे और आसपास के क्षेत्रों से हैं। कुल पहचान किए गए मरीजों में से 46 मरीज पुणे नगर निगम (MC) जबकि 95 महानगरपालिका क्षेत्र (पीएमसी) से जुडे नए गांवों के हैं। वहीं, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम के 33 मरीज, पुणे ग्रामीण क्षेत्र से 36 मरीज और अन्य जिलों से 14 मरीज इस लिस्ट में शामिल हैं।
197 मरीजों को मिली अस्पताल से छुट्टी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुल 197 मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। जबकि 24 मरीजों की स्थिति गंभीर बनी हुई है और वे आईसीयू में भर्ती हैं। वहीं, 15 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है। ये मामले पुणे नगर निगम, नए जोड़े गए गांव, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, पुणे ग्रामीण और अन्य जिलों सहित कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
In Maharashtra, a total of 225 Guillain-Barré Syndrome cases have been identified, with 197 confirmed and 28 suspected. The outbreak has resulted in 12 deaths, of which six are confirmed and six are suspected. So far, 179 patients have recovered and been discharged, while 24… pic.twitter.com/E7DtCEGMmj
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 8, 2025
GBS को सावधानी से रोका जा सकता है
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी कि सामान्य सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उबला हुआ पानी या बोतलबंद पानी पीना चाहिए, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना चाहिए, चिकन और मांस को ठीक से पकाना चाहिए और कच्चे या अधपके भोजन विशेष रूप से सलाद, अंडा, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना चाहिए।
क्या है इस बीमारी के लक्षण?
गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से पेरिफेरल नर्व्स (परिधीय तंत्रिकाओं) पर अटैक कर देती है, जिसके कारण हाथों-पैरों में कमजोरी, अंगों में झुनझुनी और गंभीर मामलों में लकवा जैसी परेशानी हो सकती हैं। जीबीएस के कारण गंभीर स्थिति में आपको लकवा मारने और सांस लेने में समस्या हो सकती है। सांस की दिक्कत वाले मरीजों को आईसीयू या वेंटिलेटर पर रखने की भी जरूरत होती है ताकि शरीर में ऑक्सीजन के संचार में कोई कमी न आने पाए। इसके अलावा अगर हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने जैसा एहसास हो रहा हो सांस लेने में परेशानी हो या शरीर के किसी अंग में असामान्य रूप से कमजोरी महसूस हो रही हो तो इसे बिल्कुल अनदेखा न करें।
दूषित भोजन और पानी के सेवन से बचें
डॉक्टर के मुताबिक, कई स्थानों पर दूषित पानी में मौजूद बैक्टीरिया के कारण भी इस रोग के ट्रिगर होने का खतरा देखा गया है। इन जोखिमों को ध्यान में रखते हुए दूषित भोजन और पानी के सेवन से बचा जाना चाहिए। बाहर की चीजों को खाने-पीने से बचें। कहीं बाहर जा रहे हैं तो घर से ही पानी की बोतल लेकर जाएं। इसके अलावा सबसे खास बात अगर आपको इस बीमारी से जुड़े कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जितनी जल्दी इस बीमारी का इलाज होगा, रोगी के ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक हो सकती है।