नई दिल्ली: शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच लगातार खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं। राज्य चुनाव के बाद भी शिंदे की सीएम बनाने की इच्छा और उनकी पार्टी के इस तरह के बयान सामने आए थे। हाल ही में फिर बीजेपी नेता और मौजूदा सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ उनके टकराव की खबरें सामने आ रही हैं।
शिंदे का कद महाराष्ट्र की राजनीति में लगातार बढ़ रहा
महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे की कद की बात करें तो वह लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने सीएम रहते हुए मजबूत और बेहतर शासन की इमेज बनाई। अपने मराठा वोट बैंक के लिए वह लगातार उनके आरक्षण की बात करते रहे जिससे उनका जनाधार भी मजबूत हुआ है। बतौर सीएम, उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता भी साबित की है और राज्य में सत्ता संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा पेश कर रहे हैं।
यही वजह है कि बीजेपी उन्हें कई जरूरी मंत्रालय देकर संतुष्ट करने की कोशिश की है। भाजपा किसी भी हालत में उनका साथ बनाए रखना चाहती है, क्योंकि बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज शिवसेना (उद्धव गुट) है, जिसका वोट बैंक एकनाथ शिंदे कमजोर कर रहे हैं। वहीं, इससे बीजेपी को फायदा हो रहा है।
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सरकार में शिंदे क्या निभा रहे भूमिका और उनके सामने चुनौतियां?
शिंदे सरकार में रहते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर कृषि सुधार और औद्योगिक विकास को अहमियत दी है। हालांकि, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी को मजबूत बनाना है। साथ ही विपक्षी दलों की रणनीतियों का डटकर मुकाबला करना भी है।
ये कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में एकनाथ शिंदे को अपनी पार्टी और नेतृत्व कौशल को और मजबूती देनी होगी। जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी जगह बनाए रखने में कामयाब बने रहें।
उनके राजनीतिक सफर और प्रभाव का अहम रोल
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। वह धीरे-धीरे पार्टी के प्रमुख नेताओं में जगह बनाने में कामयाब रहे थे। 2022 में शिवसेना में बड़ी टूट के वह अहम किरदार रहे। बाद में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उनकी सरकार ने कई अहम फैसले लिए, जिनका असर प्रदेश की राजनीति और विकास पर साफ नजर आ रहा है।
आने वाले चुनावों में क्या होगा उनका असर?
एकनाथ शिंदे का प्रभाव आगामी चुनाव में अहम होगा। अगर उनकी पार्टी मजबूत होती है, तो वह महायुति में मजबूत दावेदार बनेंगे। भाजपा अगर कमजोर हुई तो उनका दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने का सपना पूरा हो सकेगा। भाजपा के साथ उनका गठबंधन कितना मजबूत रहेगा? क्या वे विपक्षी दलों को कड़ी टक्कर देते रहेंगे, यह देखने वाली बात होगी।
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