Maharashta News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद पिछले साल अक्टूबर में नयी विधानसभा बनी थी। तब से अब तक विधानसभा का तीसरा सत्र चल रहा है। लेकिन विधानसभा का दुर्भाग्य है कि सदन को अब तक अपना नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल पाया है। लोकसभा में नेता विपक्ष बनने के लिए सांसदों की एक तय संख्या होनी जरूरी है लेकिन विधानसभा के नेता विपक्ष के लिए यह नियम लागू नहीं है। इसी सिलसिले में उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों समेत आज सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करके नेता विपक्ष का नाम घोषित करने की मांग की।
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में सियासी हलचल, उद्धव को कल मिला न्योता, आज सीएम फडणवीस से की मुलाकात
नेता प्रतिपक्ष के ही शिवसेना यूबीटी ही क्यों?
महाविकास अघाड़ी में शिवसेना यूबीटी के पास 20 विधायक है, जो एनसीपी शरद और कांग्रेस से ज्यादा है इसलिए इस पद पर शिवसेना ने अपना दावा किया। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी दिया है। शिवसेना यूबीटी ने अपने वरिष्ठ विधायक भास्कर जाधव के नाम पर मुहर लगाई है। भास्कर को नेता विपक्ष चुनने के लिए शिवसेना पिछले 8 महीने से मांग कर रही है। एमवीए के दोनों दल भी यह मांग दोहराते आए है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर हर बार वक्त आने पर उचित फैसले की बात कहकर टालते रहे।
मांग को लेकर किया था वॉकआउट
पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे थे। इससे कुछ घंटे पहले एमवीए ने नेता विपक्ष की मांग विधानसभा में उठायी थी। सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वॉक आउट किया था। इसके अलावा विधानपरिषद में 16 जुलाई को सीएम फड़नवीस ने उद्धव को सत्ता में शामिल होने का ऑफर क्या दिया इन दोनों में नजदीकियों की चर्चा होने लगी। ऐसे में नेता विपक्ष का पद देकर सीएम फडनवीस उद्धव ठाकरे से नजदीकी बढ़ा सकते हैं।
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र जन सुरक्षा बिल का विरोध क्यों नहीं किया? कांग्रेस आलाकमान का विधायकों का नोटिस
विधानसभा अध्यक्ष ने पूछा था सवाल
विपक्ष शुरूआत से ही नेता प्रतिपक्ष की मांग उठा रहा है। बाद में महाविकास अघाड़ी ने इसकी मांग के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखा। इस पर राहुल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष पद की मांग के लिए मुझे पत्र देने में 3 महीने क्यों लग गए। अब अगर मुझे निर्णय लेने में 2.5 महीने लग जाएं, तो कोई बात नहीं। अध्यक्ष के इस जवाब पर विपक्ष नाराज हो गया और सदन से वॉकआउट कर गया। इस मामले में सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि यह विधानसभा अध्यक्ष और विपक्षी दलों के बीच का मामला है। इस मामले से हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं।