Why Eknath Shinde is Important for BJP in Maharashtra: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए तीन दिन से भी ऊपर हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम पद के लिए सामने आ रहा है। वहीं खबरों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम का पद ठुकरा दिया है। शिंदे की शर्त है कि गृह मंत्रालय मिलने के बाद ही वो डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करेंगे। अगर बीजेपी शिंदे की शर्त मानती है, तो राज्य का एक बड़ा मंत्रालय उसके हाथ से छिटक जाएगा और अगर बीजेपी ने इस मांग को नकारा को महाराष्ट्र में महायुति का अस्तित्व भी खतरे में आ जाएगा। अब सवाल यह है कि एकनाथ शिंदे महायुति के लिए आखिर इतने जरूरी क्यों हैं?
बीजेपी पर उठेंगे सवाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 57 सीटें जीतने के बाद शिंदे गुट को ही लोगों ने असली शिवसेना करार देना शुरू कर दिया है। ऐसे में अगर शिंदे महायुति से अलग होंगे, तो उद्धव गुट सीधा बीजेपी पर सवाल खड़े करेगा। विपक्ष के पास बड़ा प्रोपोगेंडा होगा कि बीजेपी ने सत्ता में वापसी करने के लिए शिंदे का इस्तेमाल किया और जीत के बाद उन्हें दरकिनार कर दिया। इससे मराठा समुदाय की भावनाओं को भी तगड़ा झटका लग सकता है।
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महायुति का सबसे बड़ा मराठी चेहरा हैं शिंदे
एकनाथ शिंदे को महायुति का मजबूत मराठी चेहरा माना जाता है। जाहिर है महाराष्ट्र की सियासी बागडोर अपने हाथ में रखने के लिए शिंदे का साथ होना बेहद जरूरी है। इससे न सिर्फ मराठा वोट बैंक महायुति के खाते में रहेगा बल्कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर काबू पाने के लिए बीजेपी को बल मिलेगा।
BMC को पाने की लड़ाई
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को देश की सबसे अमीर नगर पालिकाओं में गिना जाता है। BMC पिछले 25 सालों से अविभाजित शिवसेना के खाते में थी। वहीं शिवसेना का बंटवारा होने के बाद से BMC पर उद्धव गुट का कब्जा है। ऐसे में BMC पर कब्जे के लिए शिंदे का साथ बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
विपक्ष को मिलेगा मुद्दा
महायुति अगर शिंदे गुट को साइडलाइन करते हुए महाराष्ट्र में सरकार बनाती है, तो इससे विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा। विपक्षी दल इसे ही हथियार बनाकर महायुति को घेरेंगे। बीजेपी पर आरोप लगेगा कि महाराष्ट्र जीतने के लिए बीजेपी ने शिंदे को मोहरा बनाया। यही नहीं, महायुति में दरार से महाराष्ट्र में तोड़-फोड़ की राजनीति भी शुरू हो सकती है।
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