Maharashtra Police News : महाराष्ट्र के बीड पुलिस ने अनोखी पहल की है। जिले में पुलिस कर्मी अब नाम से पहचाने जाएंगे, जाति से नहीं। इसके लिए बीड जिले के एसपी ने निर्णय लिया है कि जिले के पुलिस कर्मी और अधिकारी नाम से जाने जाएंगे। इसके लिए उनकी वर्दी पर लगी नेम प्लेट पर केवल उनका नाम होगा, सरनेम को हटा दिया जाएगा।
बीड के एसपी नवनीत कावत ने बताया कि पुलिस जनसेवा के लिए है, इसलिए अंतिम नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इन दिनों बीड में जातिवाद की राजनीति हावी है। मराठा और ओबीसी के बीच संघर्ष अपने चरम पर है। इन सबके बीच जिले में पुलिस की ओर से अनोखा कदम उठाया गया है।
जातिवाद से निपटने के लिए उठाए कदम
बीड जिले में जाति की राजनीति चल रही है, जिससे पुलिस प्रशासन इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है। इसलिए, बीड जिले के नए पुलिस अधीक्षक नवनीत कावत ने जिले के सभी पुलिस अधिकारियों से विचार-विमर्श करके एक निर्णय लिया। आज से बीड जिले के सभी पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के यूनिफॉर्म के नेम प्लेट में केवल उनके नाम होंगे। सरनेम हटा दिए गए हैं।
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क्यों उठाया गया ऐसा कदम?
बीड के पुलिस अधीक्षक नवनीत कावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम पुलिस जनसेवा के लिए तत्पर हैं और हम जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए सिर्फ अपने नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम अपने पूरे नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, इससे जनता का विश्वास पुलिस से नहीं हटेगा बल्कि और मजबूत हो जाएगा।
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साल 2023 में जब मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने जालना के अन्तरवली सराटी में आंदोलन किया था, तब इसका सबसे ज्यादा असर बीड जिले में देखने को मिला था। जरांगे पाटिल के आंदोलन के बाद ओबीसी समाज ने भी आरक्षण बचाए रखने के लिए आंदोलन किया था। तब से दोनों जातियों के बीच जिले में तनाव की स्थिति बनी हुई है।