महाराष्ट्र सरकार ने एनईपी 2020 के तहत तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किया है। इसके बाद से लगातार भाषा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। छत्रपति संभाजी नगर में शनिवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठी को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र में मराठी अनिवार्य है, इसे सभी को सीखना चाहिए, लेकिन अतिरिक्त भाषाएं सीखना लोगों की व्यक्तिगत पसंद है। फडणवीस ने कहा कि हिंदी का विरोध करना और अंग्रेजी को बढ़ावा देना आश्चर्यजनक है। यदि कोई मराठी भाषा का विरोध करता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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इससे पहले शनिवार को कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया और सरकार पर भाषा को थोपने का आरोप लगाया। ANI की रिपोर्ट के अनुसार वडेट्टीवार ने कहा कि मराठी मातृभाषा है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषी लोगों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
VIDEO | On the implementation of NEP in Maharashtra, CM Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) says, “This is not a new notification to implement the NEP. We are trying to teach everyone Marathi and the country’s language too in the New Education Policy. We had decided this long ago… pic.twitter.com/wBdC2WCsSN
---विज्ञापन---— Press Trust of India (@PTI_News) April 17, 2025
फैसले को थोप नहीं सकते
कांग्रेस नेता ने कहा कि आप इसे वैकल्पिक रख सकते हैं, लेकिन किसी के ऊपर फैसला थोपा नहीं जा सकता। किसके कहने पर आप इस भाषा को राज्य पर थोप रहे हैं? मराठी ही उनकी मातृभाषा है और यह तीसरी भाषा जो शुरू की जा रही है, उसे नहीं लाया जाना चाहिए। मराठी लोगों के अधिकारों के खिलाफ कोई जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी के साथ-साथ सभी राज्य बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से 5वीं तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है।
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महाराष्ट्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निदेशक राहुल अशोक रेखावर के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 अप्रैल को एनईपी को लेकर निर्णय लिया है। यह निर्णय छात्रों के लिए लाभकारी साबित होगा। यह कदम सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है, राजनीतिक या सामुदायिक एजेंडे के लिए नहीं।