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बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBI को लगाई फटकार, चंदा कोचर की गिरफ्तारी पर पूछे तीखे सवाल

Chanda Kochhar loan fraud case: कोर्ट ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी में सीबीआई ने अपनी पावर का गलत इस्तेमाल किया। कोर्ट ने कहा कि एजेंसी गिरफ्तारी करने का कोई ठोस आधार नहीं पेश कर पाई, जिससे ऐसा लगता है कि उसने बिना दिमाग लगाए इस मामले में दंपति को अरेस्ट किया था।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Feb 19, 2024 22:11
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Chanda Kochhar
चंदा कोचर

Chanda Kochhar loan fraud case: लोन फ्रॉड केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई को जमकर फटकार लगाई है। सोमवार को प्रोवाइड कराए गए कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस एनआर बोरकर की डबल बेंच ने सवाल उठाते हुए कहा कि एजेंसी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी में अनियमितताएं बरती। अदालत ने कहा कि दंपती की गिरफ्तारी बिना दिमाग लगाए की गई।

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कोर्ट ने 9 जनवरी साल 2023 को दोनों को जमानत पर रिहा किया था

दरअसल, वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड केस में सीबीआई ने 23 दिसंबर साल 2022 को चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी हाई कोर्ट में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने 9 जनवरी साल 2023 को दोनों को जमानत पर रिहा किया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई ने इस मामले में अपनी पावर का मिसयूज किया। एजेंसी ने इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया।

कानून आरोपी को चुप रहने का अधिकार देता है

खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान एजेंसी ने कहा था कि आरोपी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा था। इस पर जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और स्टिस एनआर बोरकर की डबल बेंच ने कहा कि कानून आरोपी को चुप रहने का अधिकार देता है। कोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 20(3) में यह अधिकार दिया गया है। अदालत ने आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले में जिन परिस्थितियों में गिरफ्तार हुई वह और साक्ष्यों का न होना सीबीआई द्वारा दोनों की गिरफ्तारी को अवैध बनाता है।

गिरफ्तारी का आधार गलत 

कोर्ट ने कहा कि सीबीआई यह बताने में असमर्थ रही कि उसके पास ऐसा क्या आधार था जिसके गिरफ्तारी का फैसला लिया। अदालत ने कहा ऐसा लगता है कि जांच एजेंसी ने अपना यह फैसला बिना सोच विचार के किया है। अदालत ने कहा कि एजेंसी ने गिरफ्तारी के पावर का दुरुपयोग किया है। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी न्यायिक समीक्षा से मुक्त नहीं है। बता दें सीबीआई ने साल 2019 में लोन फ्रॉड के इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। एजेंसी का आरोप था कि बैंक ने नियमों का उल्लंघन कर कंपनियों को 3250 करोड का लोन दिया।

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Written By

Amit Kasana

First published on: Feb 19, 2024 10:08 PM

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