बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि महिला सहकर्मी के बालों पर टिप्पणी करना और उसके बारे में गाना गाना कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा। इस टिप्पणी के साथ न्यायालय ने एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी को राहत दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संदीप मार्ने ने 18 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी उनसे यौन उत्पीड़न के बारे में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला एक प्राइवेट बैंक के एक पुरुष और महिला कर्मचारी से जुड़ा हुआ है। यह घटना 11 जून, 2022 को हुई थी। याचिकाकर्ता विनोद कछावे पुणे में एचडीएफसी बैंक के एसोसिएट क्षेत्रीय प्रबंधक हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, विनोद कछावे ने अदालत में दायर याचिका में कहा था कि प्राइवेट सेक्टर के एक बैंक में ऑफिस के एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान उन्होंने महसूस किया कि एक महिला कर्मचारी अपने लंबे बालों को लेकर परेशानी महसूस कर रही थी। कछावे ने महिला कर्मचारी से हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उन्हें अपने बालों को संभालने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दौरान कछावे ने एक पुराना हिंदी गाना ‘ये रेशमी जुल्फें’ भी गाया। लेकिन महिला कर्मचारी को उसका गाना और टिप्पणी अच्छी नहीं लगी।
महिला ने की थी शिकायत
इसके बाद जुलाई 2022 में बैंक की महिला कर्मचारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और बैंक के एचआर डिपार्टमेंट में यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। बैंक ने कार्रवाई करते हुए विनोद कछावे को उसके एसोसिएट रीजनल मैनेजर के पद से हटाकर डिप्टी रीजनल मैनेजर बना दिया। इस मामले में बैंक की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने भी जांच की थी और 30 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट दी थी। जांच में विनोद कछावे को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (पीओएसएच अधिनियम) के तहत यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया था। विनोद कछावे ने इस मामले में पुणे की एक इंडस्ट्रियल कोर्ट में अपील की लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
कछावे ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
इंडस्ट्रियल कोर्ट में अपील खारीज होने के बाद कछावे ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका लगाई। विनोद का पक्ष रखते हुए एडवोकेट सना रईस खान ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का महिला कर्मचारी को परेशान करने का कोई इरादा नहीं था। खान ने अदालत को बताया कि महिला अपने बालों को बार-बार एडजस्ट कर रही थी और लंबे बालों की वजह से असहज दिख रही थी। इस पर उनके मुवक्किल ने हल्के अंदाज में महिला से कहा कि अपने बालों को मैनेज करने के लिए तुम जेसीबी का इस्तेमाल करती होगी। इसके बाद उसे कंफर्टेबल करने के लिए वह ये रेश्मी जुल्फें गाना गाया।
आरोपी विनोद के वकील ने दिया यह तर्क
सुनवाई के दौरान वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता का इरादा इस कमेंट के पीछे सिर्फ इतना ही था कि अगर महिला अपने बालों से असहज है तो वह उसे बांध ले, क्योंकि वह न सिर्फ याचिकाकर्ता बल्कि वहां मौजूद अन्य लोगों का भी ध्यान भटका रही थी। यहां तक कि याचिकाकर्ता ने ट्रेनिंग सेशन से पहले ही सबको कह दिया था कि वह माहौल को हल्का रखने के लिए बीच-बीच में चुटकुले भी सुनाता रहेगा।
क्या कहा जज ने?
जज ने अपने फैसले में कहा है कि यदि आरोपों को सही भी मान लिया जाए तो भी यह मानना मुश्किल है कि याचिकाकर्ता ने यह कमेंट करके यौन उत्पीड़न किया है। अदालत ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति ने केवल एक सामान्य निष्कर्ष देते हुए कुछ अस्पष्ट सिफारिशें की हैं। जस्टिस मार्ने ने जोर देकर कहा कि आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट ने यह नहीं बताया है कि क्या आरोप वास्तव में यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आते हैं। कोर्ट ने इंडस्ट्रियल कोर्ट के फैसले और आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता विनोद कछावे द्वारा शिकायतकर्ता के बालों पर की गई टिप्पणी यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आती।