Baba Siddique Murder Case : मुंबई में एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में बड़ी बात सामने आई है। पहले लॉरेंस बिश्नोई गैंग के महाराष्ट्र मॉड्यूल के शूटरों से बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने यह काम करने से इनकार दिया। इसके बाद यूपी के शूटरों को हत्या की सुपारी दी गई। आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र के शूटरों ने इस घटना को अंजाम क्यों नहीं दिया।
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में मुंबई पुलिस ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के महाराष्ट्र मॉड्यूल से जुड़े 5 संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस के अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आरोपियों में से एक नितिन सप्रे ने दावा किया कि उसे बाबा सिद्दीकी की इमेज और कद के बारे में पता था, जिससे वह डर गया, इसलिए उसने सह आरोपी रामफूलचंद कनौजिया को दूर रहने के लिए कहा।
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हैंडलर्स ने क्यों उत्तर भारत के शूटरों को चुना?
आरोपी नितिन सप्रे ने आगे कहा कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए मना करने के बाद हैंडलर्स ने इस काम के लिए उत्तर भारत के मॉड्यूल का इस्तेमाल करने का फैसला किया और गुरमेल सिंह, शिवकुमार गौतम, धर्मराज कश्यप को हायर किया। इसके बाद गुरमेल सिंह और धर्मराज कश्यप ने इस घटना को अंजाम दिया और उसी रात कुछ दूर भागने के बाद दोनों गिरफ्तार हो गए, जबकि शिवकुमार गौतम फरार है।
संदिग्ध आरोपियों ने शूटरों की मदद की थी
महाराष्ट्र मॉड्यूल के संदिग्ध सदस्यों पर शूटरों को तुर्की, ऑस्ट्रेलियाई और स्थानीय रूप से निर्मित पिस्तौल सहित हथियार सप्लाई करने का संदेह है। क्राइम ब्रांच के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि संदिग्ध आरोपियों ने ही बाबा सिद्दीकी की हत्या करने के लिए आए शूटरों को खाने-पीने की चीजें, घर और आर्थिक मदद मुहैया कराई थी। जब कश्यप और गौतम कर्जत पहुंचे तो अगस्त में गिरफ्तार आरोपियों ने दोनों को रहने के लिए मकान दिलाया। सितंबर में हत्यारों को तीन हथियार मुहैया कराए गए, जिन्हें जब्त कर लिया गया है।
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पुलिस हिरासत में पांचों आरोपी
एजेंसी अब जांच कर रही है कि सिद्दीकी की हत्या से पहले गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपी मुंबई गए थे या नहीं। पुलिस ने शुक्रवार देर शाम पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया था। कोर्ट ने 25 अक्टूबर तक सभी आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेज दिया। इस दौरान जांच अधिकारी अरुण थोरात ने कोर्ट को बताया कि वे हिस्ट्रीशीटर हैं और क्राइम में मदद करने एवं उसे बढ़ावा देने में उनकी अहम भूमिका रही है।