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MP कांग्रेस में बड़े बदलाव की आहट, कमलनाथ-गोविंद सिंह की आलाकमान के साथ अहम बैठक

MP Politics: मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब तेज होती नजर आ रही हैं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, जिसमें शिवराज सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की गई। वहीं सत्र के खत्म होने के बाद अब दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्व […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Apr 22, 2024 19:43
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MP Politics: मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब तेज होती नजर आ रही हैं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, जिसमें शिवराज सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की गई। वहीं सत्र के खत्म होने के बाद अब दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के साथ बड़ी बैठक की है, जिसके बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई हैं कि प्रदेश कांग्रेस में जल्द बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

इन जिलों में बदले जा सकते हैं जिलाध्यक्ष

दिल्ली में एमपी कांग्रेस की हाई लेवल मीटिंग के बाद इस बात राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हैं कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में नए साल की शुरुआत में ही बड़े बदलाव होंगे। प्रदेश संगठन ने कई जिलों के जिला अध्यक्ष बदलने का फैसला कर लिया है। संगठन में सबसे ज्यादा बदलाव ग्वालियर-चंबल अंचल में देखने को मिल सकता है, बताया जा रहा है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से कांग्रेस ग्वालियर-चंबल के सभी जिलों में नई टीम बनाना चाहती है, ऐसे में ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, भिंड, निवाड़ी, मुरैना, अशोकनगर, श्योपुर सहित प्रदेश के कुल 16 से ज्यादा जिलों में जिला अध्यक्ष बदले जा सकते हैं।

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अगले हफ्ते तक जारी हो सकती है लिस्ट

बताया जा रहा है कि ग्वालियर-चंबल के साथ-साथ प्रदेश में होने वाले बदलाव को लेकर कमलनाथ और गोविंद सिंह की कांग्रेस आलाकमान से लंबी बैठक हुई है, कांग्रेस का कहना है कि इन क्षेत्रों में पार्टी को चुनावी नजरिए से मजबूत करने के लिए फेरबदल किए जाएंगे। जिसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने भी हरी झंडी दे दी है। ऐसे में जो भी बदलाव कांग्रेस में होने हैं, उसकी लिस्ट अगले हफ्ते तक जारी हो सकती है।

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ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा विधायकों ने बदला था पाला

दरअसल, ग्वालियर-चंबल में होने वाली सर्जरी के पीछे की सबसे बड़ी वजह सिंधिया के साथ ज्यादा कांग्रेस विधायकों का बीजेपी में जाना है, सिंधिया के साथ 22 विधायक बीजेपी में गए थे, जिनमें सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल के थे। ऐसे में ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस अपना सबकुछ नया बनाने की तैयारी कर रही है, ताकि ज्योतिरादित्य सिंधिया का असर कांग्रेस पर न हो। क्योंकि सिंधिया अंचल में कांग्रेस के सबसे पावरफुल नेता थे, ऐसे में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और गोविंद सिंह यहां नई टीम खड़ी करना चाहते हैं।

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13 जिलों में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं

खास बात यह है कि भले ही 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो गई हो, लेकिन प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेस का संगठन बुरी तरह से चरमराया हुआ है, आलम यह है कि प्रदेश के 52 जिलों में से 13 जिलों में तो कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है, जो कांग्रेस की कमजोरियों का एक बड़ा कारण है। जिन जिलों में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है, उनमें सीहोर, खंडवा, मंदसौर, नीमच, बुरहानपुर, हरदा, उमरिया, निवाड़ी, सिंगरौली, रीवा, नर्मदापुरम, निवाड़ी और टीमकगढ़ शामिल हैं।

बड़ा सवाल यह है कि विंध्य और बुंदेलखंड अंचल के इन 13 जिलों में 42 विधानसभा सीटें आती है, ऐसे में यहां कांग्रेस का एक भी विधायक न होना पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं है, इसलिए कांग्रेस इन जिलों में अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने की तैयारियों में जुट गई है, निकाय चुनाव में कई जिलों में कांग्रेस को जीत भी मिली है, ऐसे में पार्टी ने यहां तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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Edited By

Arpit Pandey

Edited By

rahul solanki

First published on: Dec 26, 2022 01:35 PM
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