MP News: विपिन श्रीवास्तव। अभी तक आपने फिल्मों में इस तरह के मामले देखें होंगे, जहां पुलिस कोई केस सॉल्व अंडर कवर कॉप बनकर मामले की जांच करती है, लेकिन रील लाइफ की यह थ्योरी पुलिस रियल लाइफ में भी दिखाती है, इंदौर में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। जहां एक लेडी पुलिस ने मेडिकल स्टूडेंट बनकर कालेज में जूनियर छात्रों से दोस्ती की और फिर उनके साथ घुल मिलकर सबूत जुटाते हुए रैगिंग गेंग का खुलासा कर दिया।
यह है पूरा मामला
दरअसल, इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से रैगिंग की शिकायत आ रहीं थीं, कुछ महीने पहले भी रैगिंग की एंटी रैगिंग कमेटी में शिकायत हुई, जिसके बाद कमेटी ने इंदौर के संयोगितागंज थाने में 24 जुलाई 2022 को FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन लंबे समय तक जांच के बावजूद मेडिकल कॉलेज में रैगिंग करने वालों के सबूत पुलिस के हाथ नहीं लगे, जिसके बाद पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में काम करने के लिए 4 पुलिसकर्मियों की टीम बनाकर अंडर कवर कॉप कि तरह काम करने की प्लानिंग की।
कॉलेज की स्टूडेंट बनी महिला कांस्टेबल
थाने की महिला कांस्टेबल शालिनी चौहान को एमबीबीएस की स्टूडेंट बनाकर कॉलेज पहुंचाया गया, जिसके बाद लगातार शालिनी एक महीने तक जूनियर छात्रों से दोस्ती और मेल मुलाकात कर उनसे घुल मिलकर बारीकी से रैगिंग गैंग के खिलाफ सबूतों को जुटाने का काम करती रही, शालिनी मेडिकल स्टूडेंट की तरह रोज कालेज जाती और छात्रों के साथ रहती रही। शालिनी जींस और टॉप पहनकर हर रोज कैंपस पहुंचती थी। उनके हाथों में किताबों से भरा बैग होता था। शालिनी रोज पांच-छह घंटे कैंटीन में रहकर टाइम बिताती थी।
किताबें पढ़ती और नए-नए स्टूडेंट्स से बातचीत करती रहती थी। जिससे ज्यादा से ज्यादा रैगिंग करने वालों की जानकारी मिल सके। आखिर में पुलिस ने रैगिंग करने वाले 11 सीनियर छात्रों की पहचान की और उन पर नामजद FIR दर्ज कर हिरासत में ले लिया।
2014 में पुलिस में भर्ती हुई थी शालिनी
बता दें कि अंडर कवर कॉप की तरह मेडिकल स्टूडेंट बनकर इस काम को अंजाम देने वाली शालिनी ने 2014 में आरक्षक की पोस्ट पर पुलिस ज्वाइन की थी। शालिनी का पहला ऑपरेशन था। शालिनी के पिता भी पुलिस में थे। जिनकी 2010 में मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद शालिनी की मां की भी एक साल बाद मौत हो गई थी। अपने पिता से प्रेरित होकर शालिनी चौहान ने पुलिस में भर्ती होना तय किया था।
शालिनी चौहान ने बताया कि एक महीने से लगातार वह सीनियर छात्रों पर अपनी नजर बनाए हुए थी और एजेंट विनोद मूवी के तर्ज पर ही छात्रों के बीच रहती और उनसे बातचीत करती कई सीनियर छात्रों ने भी शालिनी से बात करने की कोशिश की और उनका मोबाइल नंबर लेकर उनसे बात तक कर डाली। शालिनी लगातार जूनियर छात्रों से रैगिंग करने के तरीके और कौन छात्र रैगिंग करते हैं इसकी जानकारी जुटाने में जुटी हुई थी आखरी में कुछ जूनियर छात्रों ने अलग-अलग छात्रों के नाम बताएं और रैगिंग करने के तरीके भी शालिनी को बता दिए इसके बाद शालिनी ने पुलिस के सीनियर अफसरों के नॉलेज में पूरा मामला डाला और फिर हुई FIR दर्ज़ की गई।
11 छात्रों पर दर्ज हुआ मामला
इस बीच शालिनी के अलावा थाने का स्टाफ भी लगातार कालेज कैंटीन में हुलिया बदलकर मौजूद रहा। आपरेशन रैगिंग को इंदौर के संयोगितागंज थाना प्रभारी तहजीब काजी ने लीड किया। इनका कहना है कि कैंटीन में लगातार नजर बनाए रखना जरूरी था इसके लिए शालिनी के अलावा तीन और पुलिसकर्मियों को कैंटीन में साफ सफाई जैसे अलग-अलग काम करने भी पढ़े और पूरी टीम ने 1 महीने की कड़ी मेहनत के बाद 11 छात्रों को चिन्हित कर उन पर नामजद FIR दर्ज करने में सफलता हासिल की संभवतः मध्यप्रदेश में रैगिंग का भंडाफोड़ करने वाला यह पहला मामला है जिसमें पुलिस ने अंडर कवर कॉप बनकर रैगिंग करने वाले छात्रों को धर दबोचा। पुलिस ने सीनियर छात्रों में प्रेम त्रिपाठी, ऋषभ राज, राहुल पटेल , उज्जवल पांडे , रोनक पाटीदार , प्रभात सिंह, क्रप्रांशु सिंह , चेतन वर्मा और अन्य 2 छात्र शामिल है। इनमें 9 छात्र मध्यप्रदेश के और एक-एक बंगाल और बिहार का है।