ग्वालियर चंबल संभाग के लोगों को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ी सौगात दी है। लंबे समय से ग्वालियर निवासी दक्षिण के लिए ट्रेन की मांग कर रहे थे, जिसे उन्होंने पूरा कर दिया है। ग्वालियर से बेंगलुरु के बीच जल्द नई ट्रेन चलेगी जिससे ग्वालियर चंबल संभाग को बड़ी राहत मिलेगी। क्योंकि बड़ी संख्या में ग्वालियर चंबल संभाग के युवा, मजदूर और व्यापारी बेंगलुरु जाते थे, तो उन्हें ट्रेन यातायात में काफी समस्या का सामना करना पड़ता था। अब लंबे समय के बाद इस समस्या का हल निकल गया है।
ग्वालियर सांसद भरत सिंह कुशवाहा ने ग्वालियर से बेंगलुरु के बीच ट्रेन चलाने को लेकर कुछ दिन पूर्व रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की थी और ग्वालियर से बेंगलुरु के बीच ट्रेन चलाने की मांग की थी। इसके बाद अश्विनी वैष्णव ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द ग्वालियर चंबल संभाग के लिए एक नई ट्रेन चलाई जाएगी। रेल मंत्री ने अपने वादे को पूरा करते हुए ग्वालियर से बेंगलुरु के बीच ट्रेन चलाने को लेकर हरी झंडी दे दी है।
रेल परियोजना- रतलाम-नागदा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मध्य प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण रेल परियोजना- रतलाम-नागदा सेक्शन में तीसरी और चौथी रेलवे लाइन को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना भारतीय रेल की लाइन क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से रतलाम और नागदा के बीच की रेल सेवाएं और ज्यादा तेज और बिना बाधा के बनेंगी। परियोजना की अनुमानित लागत 3,399 करोड़ रुपये है। इसे साल 2029-30 तक पूरा कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने की दिशा में कारगर कदम साबित होगा। उन्होंने इस परियोजना की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को धन्यवाद दिया।
यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी
मुख्यमंत्री यादव ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि इस परियोजना से यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही कोयला, सीमेंट, कृषि उत्पाद, कंटेनर और अन्य अनेक व्यापारिक और औद्योगिक माल परिवहन की दक्षता भी बढ़ेगी। इससे मध्य प्रदेश के लिए 18.40 मिलियन टन प्रति वर्ष अतिरिक्त माल ढुलाई की क्षमता का सृजन होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आशा व्यक्त की है कि यह रेल परियोजना मध्य प्रदेश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होगी।
क्या है योजना का मकसद?
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत यह परियोजना अमल की जा रही है और इसका मकसद मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। इससे न सिर्फ मध्य प्रदेश की लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार होगा, बल्कि यह प्रदेश के आर्थिक विकास को भी गति प्रदान करेगी। परियोजना से तेल आयात में 20 करोड़ लीटर से अधिक की कमी आएगी, लगभग 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर अर्थात 99 करोड़ किलोग्राम कार्बन-डाइऑक्साइड एमिशन कम होगा और 74 लाख मानव-दिवस के बराबर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
ये भी पढ़ें- अमरकंटक से अलीराजपुर जाना होगा आसान, मध्य प्रदेश के इन 11 जिलों को जोड़ेगा नर्मदा एक्सप्रेसवे