MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस तैयारियों में जुटी हुई है। कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस का पूरा फोकस मध्य प्रदेश पर हो गया है। ऐसे में अब स्थानीय नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के नेता भी मध्य प्रदेश में सक्रिए होने लगे हैं। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में पिछले पांच बार से लगातार हार रही सीटों पर ऑब्जर्वर तैनात किए हैं।
कमलनाथ ने जेपी अग्रवाल से की थी बातचीत
दरअसल, कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल के बीच हुई चर्चा के बाद दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के चार नेताओं को ऑब्जर्वर बनाया गया है। इन सभी नेताओं को एआईसीसी की सहमति से लगातार पांच बार से हार रही सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।
इन सीटों पर कांग्रेस की नजर
बता दें कि कांग्रेस 2018 में सत्ता में 15 साल बाद लौटी थी। लेकिन प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर उसे पिछले कई चुनावों से लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस मिशन-2023 के लिए इन सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है।
जिन सीटों पर कांग्रेस की नजर हैं उनमें गोविंदपुरा, बैरसिया, हुजूर और नरेला, भोजपुर, बुधनी, आष्टा, सीहोर, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, सिलवानी, शमशाबाद और कुरवाई सीटों का फीडबैक लेकर प्रारंभिक तौर पर स्थानीय नेताओं और पीसीसी से चर्चा के बाद ऑब्जर्वर अपनी रिपोर्ट देंगे। दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा को इन सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अलावा गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष रहे अर्जुन मोरवड़िया को मालवा और निमाड़ की हार वाली सीटें दी गई हैं। इन सीटों में सारंगपुर, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, धार, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच और जाबद सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि महाकौशल और विंध्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रदीप टम्टा को सौंपी गई है।