MP Assembly Election 2023 : 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव जोरो पर हैं, जिसको लेकर नवम्बर में वोटिंग होनी है। चुनाव के परिणाम 3 दिसम्बर को सामने आएंगे। वोटिंग के दौरान ईवीएम में उम्मीदवारों के नाम के साथ नोटा का विकल्प दिया जाता है, अक्सर देखा जाता है कि चुनाव में नोटा से कई सीटों के हार-जीत के समीकरण बदल जाते हैं। मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में डेढ़ फीसदी (4,666,26) मतदाताओं ने नोटा को चुना था। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो पता चलता है कि कई सीटों पर हार-जीत का अंतर नोटा पर दिए गए वोटों से भी कम था। यदि ये वोट नोटा पर न जाते तो किसी भी दल के प्रत्याशी के लिए हर-जीत के समीकरण बदल सकते थे। आइए कुछ विधानसभा सीटों पर नजर डालते हैं –
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र
ग्वालियर दक्षिण से 2018 के विधानसभा चुनाव में हार-जीत का अंतर 121 से भी कम रहा था। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को 56369 तो वहीं भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह को 56248 वोट मिले थे, वहीं नोटा के हिस्से में 1150 वोट आए थे।
वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र
मध्य प्रदेश की वारासिवनी सीट पर नजर डालें तो 2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को 45612 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के योगेश निर्मल को 44663 वोट मिले। वहीं नोटा के हिस्से में 1045 वोट आए। मान लीजिए यदि नोटा को मिलने वाले वोट, बीजेपी के खाते में गए होते तो जीत-हार के समीकरण बदल जाते।
सुवासरा विधानसभा क्षेत्र
सुवासरा विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो बीजेपी को 89712 वोट, कांग्रेस को 89364 वोट और नोटा को 2874 वोट मिले थे। यहां पर हार-जीत का अंतर 350 रहा था। यह सीट कांग्रेस के पाले में आई थी।
जावरा विधानसभा क्षेत्र
एमपी की जावरा विधानसभा सीट की बात की जाए तो 2018 के विधानसभा चुनाव में नोटा के पक्ष में 1510 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिए सिर्फ 511 वोटों की जरूरत थी।
ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र
वहीं एमपी की ब्यावरा विधानसभा सीट की बात की जाए तो 2018 में यहां पर हार-जीत का अंतर 826 था। कांग्रेस प्रत्याशी गोवर्धन दांगी को इस चुनाव में 75569, भाजपा के नारायण सिंह पंवार को 74743 वोट मिले थे, जबकि नोटा को 1481 वोट मिले थे।