MP Assembly Election 2023 : भाजपा और कांग्रेस के प्रभुत्व वाली मध्य प्रदेश की द्विआधारी राजनीति में ‘मुस्लिम वोट फैक्टर’ उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए महत्वहीन हो सकता है, लेकिन यहां कांटे की टक्कर की स्थिति में अल्पसंख्यक वोट कम से कम 22 सीटों पर महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी करीब 9 फीसदी है, लेकिन विधानसभा चुनाव में राजनीतिक भागीदारी करीब 4.5 फीसदी ही है।
अल्पसंख्यकों को टिकट वितरण का गणित
अल्पसंख्यकों में सबसे बड़ी भागीदारी मुसलमानों(6.5%) की है, ये प्रदेश की राजनीति में सबसे पिछड़े माने जाते हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में मुस्लिम समुदाय को टिकट वितरण की बात करें तो कांग्रेस ने 2, बीएसपी ने 4, एसपी ने 3 और आम आदमी पार्टी ने 2 टिकट दिए हैं, वहीं बीजेपी के द्वारा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने की संख्या शून्य है। बता दें कि मुस्लिम वोट 47 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं, जबकि वे 22 क्षेत्रों में निर्णायक माने जाते हैं।
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जैन समुदाय को कितने टिकट
प्रदेश राजनीति में जैन समुदाय की बात की जाए तो यह आबादी 0.78% है, लेकिन इनका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। कांग्रेस ने 10 और बीजेपी ने 8 टिकट जैन समुदाय के उम्मीदवारों को दिए हैं। जैन समाज प्रदेश में, गोम्मटगिरी में कब्जे को लेकर नाराज है, समुदाय की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी ने जैन तीर्थ मोहनखेड़ा में जाकर जैन समाज को भी साधने की कोशिश की थी।
अन्य समुदाय को कितने टिकट
प्रदेश में अन्य वर्गों में सिख समुदाय से भाजपा ने एक उम्मीदवार को टिकट दिया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा कई बार सिख दंगों पर कांग्रेस को घेर चुकी है। वहीं ईसाई समुदाय को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। बहरहाल, यह तो मतदान के दिन ही देखना होगा कि वह अपने मतदाताओं को भुनाने के लिए कितनी कामयाब हो पाती है।