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मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: 7 साल तक डॉक्टर बनकर करता रहा प्रैक्टिस, मरीज की मौत के बाद सामने आई सच्चाई

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक शख्स सालों तक डॉक्टर के तौर पर काम करता रहा, लेकिन एक मरीज की मौत के बाद उसकी सच्चाई सबके सामने आई।

Author Edited By : Shabnaz Updated: May 24, 2025 14:28
Madhya Pradesh

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के जबलपुर में सतेंद्र कुमार नाम का एक शख्स पिछले 7 सालों से डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस कर रहा था। सतेंद्र कुमार नाम के इस शख्स के पास MBBS की डिग्री भी थी, लेकिन ये डिग्री उसके नाम की नहीं बल्कि उसके एक दोस्त के नाम पर थी। सतेंद्र इतने सालों तक अपने दोस्त के नाम पर ही मरीजों का इलाज कर रहा था। इसका खुलासा शायद अभी नहीं होता, अगर एक मरीज की मौत नहीं हुई होती। दरअसल, मरीज की मौत के बाद जब डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, तब पूरे मामले की सच्चाई सामने आई।

दोस्त के नाम पर बना MBBS डॉक्टर

जबलपुर में सतेंद्र कुमार नाम का शख्स अपने आदिवासी दोस्त बृजराज सिंह के नाम पर 7 सालों तक डॉक्टर बना रहा। यह पूरा केस तब खुला जब मनोज कुमार महावर नाम के एक शख्स ने अपनी मां की मौत के बाद डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में मनोज ने दावा किया कि उसकी मां की मौत डॉक्टर की लापरवाही की वजह से हुई। इसके बाद खुलासा हुआ कि यह MBBS की डिग्री उसकी नहीं, बल्कि उसके दोस्त के नाम की है।

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बृजराज निकला पेंटर

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज को 1 सितंबर को एक निजी अस्पताल में लाया गया था, जिसके बाद महिला की मौत हो गई। मनोज को बाद में पता चला कि जब उनकी मां को भर्ती कराया गया था, तब ड्यूटी पर डॉ. बृजराज सिंह उइके थे। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की, तो पता चला कि बृजराज दीवार पेंट करने का काम करता था।

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क्या है पूरा मामला?

पुलिस जब दीवार पेंट करने वाले बृजराज सिंह के पास पहुंची और उससे पूछताछ की, तो पता चला कि वह कोई डॉक्टर नहीं, एक मामूली सा पेंटर है। पुलिस ने बृजराज को डॉक्टर की तस्वीर दिखाई, तो उसने कहा कि ये तो मेरा दोस्त सतेंद्र है।’ पुलिस जांच में पता चला कि बृजराज उइके के नाम से सतेंद्र ने नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में दाखिल लिया। उसने दोस्त की पहचान और जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था। दरअसल, सतेंद्र सामान्य श्रेणी से था, जिसने आदिवासी कोटा का लाभ उठाया।

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First published on: May 24, 2025 02:28 PM

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