Organic Farming In Madhya Pradesh(विजेंद्र सिंह राणा): अक्सर आप ने देखा होगा की किसान अपने खेतों में कीटनाशक दवाओं के साथ यूरिया और डीएपी खाद का खेती में ज्यादा इस्तेमाल करता है।
जिससे उसके खेतों में मौजूद जीव जंतु और अन्य जीव कीटनाशक दवाओं और केमिकल खाद के कारण नष्ट हो जाते हैं, लेकिन इसके कारण किसान के खेतों की मिट्टी कठोर हो रही है और किसानों की फसल भी कम होती है। किसान खाद पर खाद फसल में फेंकता रहता है और नुकसान होता रहता है।
एमपी न्यूज24 के संवाददाता विजेंद्र सिंह राणा की मुलाकात एक ऐसे किसान से हुई, जो अपनी खेती में केवल जैविक खाद का उपयोग करता है। सीहोर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गांव छापरी भरतपुर में युवा किसान दीपक परिहार द्वारा जैविक खेती की जा रही और खेतों में गौ मूत्र और एक बड़ी टंकी में छाछ, कद्दू, एलोबेरा, गाय का गोबर, सोयाबीन पाउडर सभी को मिक्स करके एक दवाई तैयार की जाती है, जिसको स्प्रे पम्प की मदत से खेतों में छिड़काव करके अपने खेतों को कीटनाशक दवाओं से मुक्त बना कर अच्छी फसल लेते हैं।
गोबर से बना रहे खाद
किसान यूरिया और डीएपी खाद को छोड़ कर अपने पशुओं के गोबर से किसान खुद खाद बनाता है और खेतों में फलों के बगीचों में डालता है। इससे किसान को ये फायदा होता है कि उसके फलों के बगीचे के छोटे-छोटे पौधे में फल आने लगते हैं और ये शरीर के लिए अच्छे होते हैं। बिना किसी दवाई के अच्छे फल किसानों को मिलते हैं और अच्छी कमाई भी होती है।
इस विषय को लेकर हमारी बात कृषि वैज्ञानिक आरपी सिंह से हुई तो उन्होंने बताया कि किसानों का हमेशा कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलता है। समय-समय पर किसानों को वैज्ञानिकों के द्वारा अच्छे सुझाव भी दिए जाते हैं।
किसान अच्छा काम कर रहे हैं और जैविक खेती की और बढ़ रहे हैं। इससे उनको अच्छा फायदा होगा और फसल अच्छी होगी। इसके अलावा अच्छा मुनाफा होगा। जैविक खाद से कठोर मिट्टी अब नरम होगी। इसके अलावा फसल के लिए हम किसानों को और आगे भी इसी प्रकार से जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे।
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