मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार प्रदेश के विकास और लोगों की सुविधा के लिए लगातार उचित और जरूरी कदम उठा रही है। हाल ही में राज्य सरकार ने प्रदेश के आम लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक फैसला लिया है। दरअसल, राज्य सरकार केंद्र सरकार की योजना को प्रदेश में लागू कर रही है। जिसके तहत मध्य प्रदेश के 6 शहरों में इस साल सितंबर और अक्टूबर से इलेक्ट्रिक बसें (E-Bus) चलना शुरू हो जाएंगी। केंद्र सरकार की योजना के तहत देश के 88 शहरों में 6.50 हजार से ज्यादा ई-बसें चलनी हैं। इन हजारों बसों में से 582 बसें मध्य प्रदेश को मिली हैं।
हमारी सरकार ने मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा को मंजूरी प्रदान की है, जिससे विकसित मध्यप्रदेश के ध्येय प्राप्ति के प्रयासों को नव गति मिलेगी।
---विज्ञापन---– श्री @DrMohanYadav51 मुख्यमंत्री, म. प्र. pic.twitter.com/S7iJoLZVSu
— Office of Dr. Mohan Yadav (@drmohanoffice51) April 20, 2025
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MP को आवंटित हुई 582 ई-बसें
मध्य प्रदेश को आवंटित की गई 582 ई-बसों में 472 बसें मिडी ई-बस होंगी, जो 26 सीटर हैं। वहीं, 110 मिनी ई-बसें होंगी, जो 21 सीटर होंगी। ये सारी ई-बसें इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में दौड़ेंगी। इन ई-बसों का किराया, शहर की बाकी बसों से काफी कम होगा। इसके अलावा इन 6 शहरों में नई ई-बसों के लिए 10 नए डिपो बनाए जाएंगे, जिसके निर्माण में 58 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें पाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में दो-दो डिपो, भोपाल, बैरागढ़, कस्तूरबा नगर, नायता मुंडला और चंदन नगर में एक-एक डिपो बनेंगे। इन डिपो के निर्माण का 60 फीसदी खर्चा केंद्र सरकार का होगा और 40 प्रतिशत खर्चा राज्य सरकार का होगा। इन डिपो के पास ई-बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनेंगे, जिसके लिए बिजली की व्यवस्था केंद्र सरकार करेगी।
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करोड़ों से बनेगा 9 चार्जिंग स्टेशन
इन शहरों में कुल 9 चार्जिंग स्टेशन बनेंगे, जिसका निर्माण 60 करोड़ रुपये की लागत से होगा। इसके लिए 41 किमी लंबी हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार की मदद से विद्युत सब स्टेशन बनाए जाएंगे। ई-बसों को चलाने और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी ग्रीन सेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दी गई है। इन ई-बसों के ऑपरेशनल एंड मेंटेनेंस कॉस्ट 12 साल तक केंद्र सरकार देगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश की ज्यादातर आबादी इन्हीं 6 शहरों में रहती है, जिनकी संख्या करोड़ों में है। इस लिए इन ई-बसों का फायदा शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों को होगा।