---विज्ञापन---

Cheetah Project: दक्षिण अफ्रीका से ग्वालियर पहुंचे 12 चीते, स्पेशल विमान C-17 ग्लोबमास्टर से लाया गया

Cheetah Project: नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाए जाने और मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद शनिवार को साउथ अफ्रीका से 12 चीते ग्वालियर लाए गए हैं। इन चीतों को 10 दिन के क्वारंटाइन में रहने के बाद कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Feb 18, 2023 11:36
Share :
Cheetah Project, south africa, african cheetahs, , Cheetah India project, south african cheetah facts

Cheetah Project: नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाए जाने और मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद शनिवार को साउथ अफ्रीका से 12 चीते ग्वालियर लाए गए हैं। इन चीतों को 10 दिन के क्वारंटाइन में रहने के बाद कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लेकर IAF C-17 आज सुबह ग्वालियर में उतरा। जानकारी के मुताबिक, ग्वालियर से सभी 12 चीतों को एम-17 हेलिकॉप्टरों से कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा।

साउथ अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों में 5 मादा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा चीतों को उनके क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा जाएगा। बता दें कि इन 12 चीतों में से 5 मादा हैं। दक्षिण अफ्रीका के वन विभाग ने ट्वीट कर दिखाया कि कैसे इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क भेजने से पहले डार्ट किया गया और उन्हें स्पेशल बॉक्स में शिफ्ट किया गया।

Image

शुक्रवार शाम को साउथ अफ्रीका से चीतों को किया गया था रवाना

12 चीतों को भारतीय वायु सेना के गैलेक्सी ग्लोबमास्टर सी17 पर लोड किया गया था। उन्हें ड्रिप से हाइड्रेट किया गया और फिर उनकी कॉलर फिटिंग भी चेक की गई। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि चीतों को शुक्रवार शाम को गौतेंग केओआर टैंबो अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से ग्वालियर के लिए रवाना किया गया।

Image

20 फरवरी को कूनो में परामर्श कार्यशाला का आयोजन

बताया जा रहा है कि कूनो नेशनल पार्क में 20 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, पशु चिकित्सकों और वन अधिकारियों के साथ एक परामर्श कार्यशाला आयोजित की जाएगी। बता दें कि केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी चीता पुन: परिचय कार्यक्रम के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्मदिन पर नामीबिया से कुनो में पांच मादाओं समेत आठ चीतों को छोड़ा था।

Image

भारत में अफ्रीकी चीता परिचय परियोजना’ की कल्पना 2009 में की गई थी, लेकिन यह एक दशक से अधिक समय तक ये प्रोजेक्ट अमलीजामा पहनने में नाकाम रहा था। कूनो में नवंबर 2021 तक चीता लाने की योजना को कोरोना के कारण झटका लगा था।

क्या आप जानते हैं?

चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है, जो भारत से विलुप्त हो गया था। अधिकांश विशेषज्ञों ने इसका श्रेय व्यापक शिकार और निवास स्थान के नुकसान को दिया है। अंतिम तीन चीतें 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में शिकार किए गए थे।

Image

चीता दुनिया की सबसे अधिक पहचानी जाने वाली बिल्लियों की प्रजाति में से एक है, जो अपनी गति के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। चीते के स्प्रिंट को अधिकतम 114 किलोमीटर (71 मील) प्रति घंटे पर मापा गया है और वे नियमित रूप से 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है।

Image

क्यों है, चीता सबसे तेज धावक

चीते की शारीरिक संरचना ही उसे गति प्रदान करती है। चीते के शरीर में लचक अधिक होती है, जब चीता तेज गति से दौड़ता है तो यह लचक ही उसे संतुलन प्रदान करती है। चीते के पैर अन्य पशुओं की तुलना में लंबे होते हैं। साथ ही लंबे समय तक रीढ़ की बढ़ोतरी, उच्च गति पर कदम की लंबाई को बढ़ाती है। उसके पास अट्रैक्टिव हुक के अतिरिक्त पैर जमाने के लिए पंजे में कुशन और संतुलन के लिए लंबी पूंछ होती है।

Image

जानें, चीता, तेंदुआ और जैगुआर में अंतर

चीता- आंखों के नीचे काले निशान। छोटा और गोल सिर। पंजे आंशिक रूप से उभरे होते हैं। उनके शरीर पर ठोस काले धब्बे होते हैं।

तेंदुआ- ये चीता से साइज में छोटा होता है। इनके शरीर पर छोटे, घनी पैक वाली रोसेट होती है।

जैगुआर- इनकी पूंछ तेंदुआ और चीता से छोटी होती है। इनका सिर बड़ा और गोल होता है।

HISTORY

Written By

Om Pratap

First published on: Feb 18, 2023 10:50 AM
संबंधित खबरें