BJP ‘Yadav card’ In Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी ने यादव कार्ड खेल दिया है। मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब बिहार की सियासत भी गर्मा गई है। बीजेपी के इस कदम को बिहार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से दो-दो हाथ करने के लिए बीजेपी की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। अब बीजेपी नेता बिहार में लोगों को बता भी रहे है कि बीजेपी सभी जातियों का सम्मान करती है ना की राजद के जैसी एक परिवार का सम्मान। बिहार के यादवो में बीजेपी की सेंधमारी का कितना असर होगा यह तो 2024 के लोकसभा चुनाव में पता चलेगा लेकिन मोहन यादव का मुख्यमंत्री के रूप में नाम सामने आने के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश में चर्चा खूब हो रही है।
जेडीयू प्रवक्ता ने कहा भाजपा में हलचल
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से भाजपा में हलचल है इसीलिए भाजपा ने मोहन यादव को एमपी का सीएम बनाने का फैसला लिया है।
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बीजेपी अपना सामाजिक विन्यास बदल चुकी
बिहार के जातीय सर्वे के अनुसार वहां यादवों की जनसंख्या 14.3% है। यहां से पांच यादव लोकसभा में हैं, जिसमें नित्यानंद राय मोदी सरकार में मंत्री हैं। हालांकि, यादव यहां लालू प्रसाद यादव की आरजेडी का कोर वोट है। आरजेडी-जेडीयू की प्रदेश सरकार में 25% मंत्री इसी बिरादरी से हैं। वोट बेस के हमेशा विस्तार में जुटी मोदी-शाह की अगुआई वाली बीजेपी अपना सामाजिक विन्यास बदल चुकी है। बीजेपी ने ओबीसी, दलित सहित हर संभावित वोट पॉकेट में पैठ बहाने के लिए पसीना बहाया है। यादवों को रिझाने की कवायद भी उसमें एक है।
कोई यादव चेहरा सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठा
बिहार में 2005 में राबड़ी देवी की कुर्सी जाने के बाद कोई यादव चेहरा सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठा। 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन में हुई प्रचंड जीत में अधिक सीटें जीतने के बाद भी आरजेडी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया था।