10 Key Reasons For Congress Loss in Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को प्रचंड बहुमत मिलता नजर आ रहा है। बीजेपी 164 सीटों पर आगे चल रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को टक्कर में माना जा रहा था। कई विश्लेषक कांग्रेस की सरकार बनने की भी उम्मीद कर रहे थे, लेकिन नतीजों ने चौंका दिया। आखिर बीजेपी को भारी बहुमत क्यों मिल रहा है और कांग्रेस की हार के क्या कारण रहे, आइए जानते हैं…
1. ओवर कॉन्फिडेंस
कांग्रेस में चुनाव को लेकर कहीं न कहीं ओवर कॉन्फिडेंस नजर आया। पार्टी में कमलनाथ ही पावर सेंटर रहे। हाईकमान का दखल भी कम ही नजर आया। कांग्रेस यह मानकर बैठ गई कि मौजूदा बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। हालांकि उसका आकलन गलत साबित हुआ।
2. सॉफ्ट हिंदुत्व कांग्रेस के काम नहीं आया
कमलनाथ का सॉफ्ट हिंदुत्व कांग्रेस के काम नहीं आया। उल्टा यह उन्हीं पर भारी पड़ गया। कांग्रेस ने घोषणापत्र में गायों और मंदिर विकास की बात कही थी, लेकिन जनता को बीजेपी का हिंदुत्व ही पसंद आया। कहा जा रहा है कि कुछ वादे तो ऐसे रहे, जो पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी किए गए थे। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सनातन का विरोध और जातिवाद के दांव को कांग्रेस की हार का जिम्मेदार बताया है।
3. जमीनी स्तर पर कमजोर
इसके साथ ही जमीनी स्तर पर कांग्रेस कमजोर नजर आई। कांग्रेस का अभियान भी बीजेपी के आगे फीका नजर आया। जमीनी स्तर पर उसके नेता मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफल नहीं हो पाए।
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4. बीजेपी के खिलाफ स्पष्ट रणनीति की कमी
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की स्पष्ट रणनीति नजर नहीं आई। कांग्रेस कई मुद्दों को नहीं भुना पाई। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को छोड़ महंगाई को मुद्दा बनाया। हालांकि बीजेपी ने इसका तोड़ निकालते हुए विभिन्न वर्गों के लिए नकद प्रोत्साहन की घोषणा कर दी थी। कहा जा सकता है कि कांग्रेस की रणनीति लोगों को पसंद नहीं आई।
शिवराज सिंह चौहान के लिए महिलाओं ने गाया गाना
◆ कहा, "एक हजारोंं में हमारा भैया है"
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5. कांग्रेस में गुटबाजी
कांग्रेस में चुनाव से पहले गुटबाजी नजर आई। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच अंदरूनी खींचतान दिखी। संगठन काफी कमजोर नजर आया। कई सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर हंगामा हुआ। टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस से कई नेता बगावत पर उतर आए। उन्होंने दूसरी पार्टी या निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा की। इन नेताओं को कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। कहा जा रहा है कि इन नेताओं ने भी कहीं न कहीं कांग्रेस की वोट काटने का काम किया।
6. भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों को उतारा
बीजेपी ने इस चुनाव में कई प्रयोग किए। उसने सांसद समेत कई केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा। जबकि कांग्रेस के पास कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के अलावा प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं रहा।
7. लाडली बहना योजना का कमाल
कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह शिवराज सरकार की जनहितैषी योजनाओं को भी बताया जा रहा है। लाडली बहना योजना ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। इसे गेमचेंजर बताया जा रहा है। इस योजना के तहत शिवराज सरकार हर महीने प्रत्येक महिला के खाते में 1,250 रुपये हर महीने ट्रांसफर करती है। सालाना महिलाओं को 15 हजार रुपये दिए जाते हैं।
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8. भाजपा का सीएम फेस घोषित न होना
बीजेपी का सीएम फेस घोषित न होना भी बड़ी बात रही। इससे हर नेता को अपने लिए नेतृत्व की संभावना नजर आई। उन्होंने पूरी ताकत से चुनाव जिताने पर जोर लगाया। हालांकि अब भी सीएम के चेहरे के तौर पर शिवराज सिंह चौहान को ही सबसे आगे माना जा रहा है।
9. शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और आमजन में मामा के नाम से चर्चित शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता भी कांग्रेस पर भारी पड़ गई। चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने की बात हो चाहे देसी अंदाज में लोगों के बीच संवाद करने की…शिवराज ने अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी। इससे बीजेपी की ओर से कांग्रेस को पटकनी देना काफी आसान हो गया।
"दिग्विजय सिंह की हर बद्दुआ का स्वागत करता हूं"
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10. ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका
कांग्रेस को एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका से नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी ने इस बार के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 16 नेताओं को टिकट दिया था। सिंधिया ने उन 22 लोगों को बीजेपी का टिकट दिलाया, जिन्हें उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।