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अल्मोड़ा की गेवाड़ वैली में दफन है एक प्राचीन शहर! ASI कर रहा इस Lost City को खोजने की तैयारी

Lost City in Gewad Valley Almora : आर्कियोलॉजिस्ट्स का मानना है कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित गेवाड़ वैली के नीचे एक प्राचीन शहर दफन हो सकता है। इसे ढूंढने के लिए यहां खुदाई करने की तैयारी की जा रही है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Dec 21, 2023 14:46
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Lost City in Gewad Valley Almora : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक नदी है रामगंगा। इस नदी के किनारे पर गेवाड़ घाटी बसी हुई है । माना जा रहा है कि इस वैली की जमीन के अंदर एक प्राचीन शहर दफन है। इसे देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) यहां खुदाई की संभावनाएं एक्सपलोर कर रहा है।

एएसआई के विशेषज्ञों की एक टीम पहले ही वैली का सर्वे कर चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि इस खोए हुए शहर को सामने लाने के लिए काम जल्द ही शुरू हो सकता है। आर्कियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि इसे लेकर किए गए सर्वे की रिपोर्ट्स काफी आश्वस्त करने वाली हैं।

खुदाई के लिए तैयार किया जा रहा प्रस्ताव

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार देहरादून सर्किल के सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट मनोज सक्सेना का कहना है कि वैली का अध्ययन करने के लिए एक और एडवांस्ड सर्वे भी हो रहा है। चौखुटिया इलाके में आने वाली इस वैली की खुदाई के लिए एक प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है।

यहां मिल चुके हैं सदियों पुराने कई मंदिर

एक सवाल यह उठा है कि गेवाड़ वैली के नीचे एक प्राचीन शहर होने की बात कैसे सामने आई। इसे लेकर एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि रामगंगा नदी के किनारे 10 किलोमीटर से ज्यादा इलाके में फैली इस वैली में कई ऐसे मंदिर मिले हैं जो 9वीं और 10वीं सदी के हैं।

इनका निर्माण कत्यूरी शासकों ने करवाया था। अधिकारी के अनुसार सदियों पुराने मंदिरों के अवशेषों की मौजूदगी इस ओर संकेत देती है कि यहां मंदिरों के निर्माण से पहले भी सभ्यता जरूर होगी।

रीजनल स्टेट आर्कियोलॉजिकल ऑफिसर डॉ. चंद्र सिंह चौहान का कहना है कि हमें इस वैली में हाल ही में कई छोटे मंदिर मिले हैं जिनकी ऊंचाई एक से दो फीट है।

1993 में मिला था भगवान गणेश का मंदिर

साल 1993 में भी यहां एक सर्वे हुआ था जिसमें 9वीं सदी में बना वक्रतुंडेश्वर (भगवान गणेश) का मंदिर मिला था। इसके अलावा नाथ संप्रदाय के सात अन्य मंदिर भी मिले थे। यह बताता है कि यहां तब भी लोग रहते होंगे। यह सर्वे गढ़वाल यूनिवर्सिटी के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग ने करवाया था।

इस टीम का हिस्सा रहे प्रोफेसर राकेश चंद्र भट्ट के अनुसार सर्वे के दौरान चैंबर्स और बड़े जार मिले ते जिनमें मृतकों के अवशेष रखे गए थे। इसके अलावा मिट्टी के रंगीन बर्तन भी मिले थे जो मेरठ के हस्तिनापुर और बरेली के अहिछत्र में मिले बर्तनों जैसे थे और पहली से पांचवीं सदी के थे।

प्रोफेसर भट्ट के मुताबिक जो हमने पाया था वह इस ओर इशारा करता है कि यहां जमीन के नीचे एक प्राचीन शहर दफन है जो खोजे जाने का इंतजार कर रहा है। यह एएसआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकता है।

इसी साल मिला था एक विशाल शिवलिंग

बता दें कि इसी इलाके में इसी साल नवंबर में एक विशाल शिवलिंग भी मिला था। इसकी ऊंचाई 1.2 मीटर और व्यास दो फीट का था। आर्कियोलॉजिस्ट्स के अनुमान के मुताबिक यह शिवलिंग 9वीं शताब्दी का है और कत्यूरी शासकों की ओर से बनवाए गए एक मंदिर का हिस्सा हुआ करता था।

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First published on: Dec 21, 2023 02:42 PM

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