रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्टः देश में आज रामनवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। मान्यता अनुसार आज के दिन ही भगवान राम का जन्म हुआ था। रामनवमी पर भगवान राम के साथ ही उनके प्रिय भक्त हनुमान जी की भी पूजा अर्चना की जाती है और हनुमान पताका फहराया जाती है।
वैसे तो हनुमान जी का जन्म कहां हुआ था इसे लेकर अब तक इतिहासकार और धर्मगुरु एकमत नहीं हो पाए हैं। कोई हनुमान जी की जन्मस्थली के रूप में कर्नाटक के मैसूर के हंपी के निकट बसे गांव को हनुमान जी का जन्मस्थान बताते हैं। तो कुछ गुजरात के डांग को हनुमान जी की जन्मस्थली मानते हैं।
दावे हरियाणा के कैथल में हनुमान के जन्म स्थान को लेकर भी है। इन सब के बीच झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव को भी हनुमान जी की जन्मस्थली माना जाता है। झारखंड के आंजन गांव में क्या है इसके प्रमाण? और क्या कहते हैं इस बारे में यहां के लोग? पढ़े ये खास आलेख
आंजनधाम में रहती थी माता अंजनी
झारखंड के गुमला शहर से करीब 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आंजनधाम। लोक मान्यताओं के अनुसार यही माता अंजनी ने हनुमानजी को जन्म दिया था। बात अगर यहां की भौगोलिक परिस्थितियों की करें तो यहां अभी वैसी स्थिति दिखाई देती हैं इसका जिक्र रामायण के किष्किंधा में किया गया है।
यहां एक प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में माता अंजनी की एक प्रतिमा स्थापित है, इस प्रतिमा में माता अंजनी गोद में हनुमानजी को लिए हुए हैं। इस मंदिर के ठीक पास ही एक गुफा भी है। स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार इसी गुफा में माता अंजनी के रहने और पुत्र हनुमान के जन्म देने के कई तथ्य रामायण से मिलते हैं।
इस कारण बंद हो गया था गुफा का द्वार
बताया जाता है कि माता अंजनी जिस गुफा में रहा करती थीं उसकी लंबाई लगभग 1500 फीट है। यह गुफा एक सुरंग से जुड़ी है मान्यता है कि माता अंजनी इसी रास्ते कटवा नदी में जाती थी और स्नान कर लौटती थी। इस गुफा का द्वार हाल में ही खुदाई कर खोला गया है। यह द्वार एक चट्टान से बंद था।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि माता अंजनी ने इस पवित्र गुफा में हनुमान जी को जन्म दिया था। इस गुफा में एक बार माता को प्रसन्न करने के लिए किसी आदिवासी ने बकरे की बलि दे दी थी। इससे माता अंजनी काफी क्रोधित हो गई और गुफा का द्वार हमेशा के लिए बंद कर दिया। हाल ही में इस के प्रवेश द्वार पर चट्टान को हटाकर गुफा का द्वार खोला गया है।
360 शिवलिंग और तालाब होने की बात
स्थानीय कथाओं के अनुसार यहां प्राचीन काल में 7 जन जातियां निवास करती थी जिनमें सबर, वानर, निषाद, गिद्ध, नाग, किन्नर और राक्षस थे। कहा जाता है कि माता अंजनी शिव भक्त थीं वह प्रत्येक दिन यहां अलग-अलग तालाबों में स्नान कर शिव की पूजा करती थी।
ऐसी मान्यता है कि यहां कभी 360 से अधिक शिवलिंग और उतने ही तालाब मौजूद थे कुछ तालाब और शिवलिंग अभी यहां प्रमाण के तौर पर यहां मौजूद हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार पहाड़ की चोटी पर मौजूद गुफा में ही माता अंजनी ने हनुमान को जन्म दिया था। इस गुफा के पास पंपासुर नामक सरोवर भी है बताया जाता है कि इस पंपापुर सरोवर में ही राम और लक्ष्मण ने स्नान किया था।
मुरादे होती है पूरी
इस स्थान के बारे में मान्यता है कि यहां स्थित मुख्य मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं मंगलवार और शनिवार को भक्तों की तादाद काफी ज्यादा हो जाती है।
स्थानीय लोग चाहते हैं कि इस धार्मिक स्थल पर सरकार ध्यान दें और इसे धार्मिक पर्यटन स्थल की तर्ज पर विकसित करें पर सरकार की ओर से इस स्थान के विकास के लिए कोई खास पहल दिखाई नहीं देती।