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हेमंत सोरेन की वापसी झारखंड में BJP के लिए बड़ा संकट क्यों? समझिए सभी समीकरण

Hemant Soren vs BJP: झारखंड में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं। हेमंत सोरेन एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं। जेल से बाहर आने के 5 दिन बाद ही सीएम पद की शपथ लेने वाले सोरेन ने भाजपा के लिए स्थिति गंभीर बना दी है। इस रिपोर्ट में समझिए वो कारण जो बताते हैं कि क्यों हेमंत का चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बनना झामुमो के लिए बेहतर और भाजपा के लिए समस्या है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jul 4, 2024 20:06
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Hemant Soren
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Hemant Soren Becomes Jharkhand CM : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन कथित जमीन घोटाला मामले में जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव अब कुछ महीने ही दूर हैं, लेकिन इसका इंतजार किए बिना हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री पद पर बैठ चुके हैं। पहले माना जा रहा था कि चंपई सोरेन चुनाव तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे और हेमंत सोरेन पार्टी के काम पर फोकस करेंगे। लेकिन, हेमंत के सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही इन अटकलों पर विराम लग गया है।

बुधवार को रांची में कांग्रेस, झामुमो और राजद की बैठक में एकमत से इस बात पर सहमति जताई गई थी कि हेमंत सोरेन फिर मुख्यमंत्री बनें। इसके साथ ही चंपई सोरेन ने पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसी अटकलें भी चल रही हैं कि चंपई सोरेन इससे खुश नहीं हैं। हालांकि, इस बारे में उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। बड़े सवाल ये हैं कि जब चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं तो चंपई सोरेन को कार्यकाल पूरा करने क्यों नहीं दिया गया और हेमंत सोरेन को जेल से बाहर आते ही मुख्यमंत्री बनने की इतनी क्या आतुरता थी?

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हालांकि, राजनीति के जानकारों का मानना है कि हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री पद पर वापसी आगामी चुनाव में उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके साथ ही भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। बता दें कि हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इस रिपोर्ट में समझिए उन अहम कारणों के बारे में जिनकी वजह से हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आते ही मुख्यमंत्री पद अपने हाथ में लेने का फैसला कर लिया और क्यों उनकी वापसी भाजपा के लिए संकट का सबब बन सकती है।

गुटबाजी समाप्त करने की कोशिश

जेल से बाहर आने के 5 दिन बाद ही हेमंत सोरेन ने सत्ता का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। सूत्रों के अनुसार झामुमो में 2 गुट पैदा हो रहे थे। अगर ऐसा होता तो आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो को नुकसान और भाजपा को फायदा हो सकता था। सूत्रों का कहना है कि यह संभावित स्थिति भी एक कारण है जिससे बचने के लिए सोरेन ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के परिणाम और हेमंत की रिहाई को देखते हुए झामुमो जोश में भी है। पार्टी को भरोसा है कि हेमंत के नेतृत्व में वो जीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है।

सिंपैथी वोट मिलने की पूरी संभावना

चुनाव से पहले की किसी गलती से बचने के लिए हेमंत का यह कदम पार्टी के अंदर साफ संदेश भेजता है कि सत्ता की बागडोर उन्हीं के हाथ में है। गिरफ्तारी के चलते वह लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियानों में भी हिस्सा नहीं ले पाए थे। अब उनका लक्ष्य विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का चेहरा बनने का है। इंडिया में शामिल बाकी दलों का भी मानना है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन को सिंपैथी वोट भी मिल सकते हैं। इसी कारण से उन्हें जेल से बाहर आने के तुरंत बाद जल्दी से जल्दी मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया।

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Edited By

Gaurav Pandey

First published on: Jul 04, 2024 07:54 PM

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