Jharkhand Politics : झारखंड में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक उठापटक के संकेत मिल रहे हैं। हेमंत सोरेन के करीबी और पूर्व सीएम ने मंगलवार को खुली बगावत का ऐलान कर दिया। उन्होंने एक्स के बायो से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) हटा दिया और फिर पोस्ट कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी। अब चंपई सोरेन ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। उनके साथ जेएमएम के 6 विधायक भी हैं। ऐसे में अब बड़ा सवाल उठता है कि चंपई सोरेन की बगावत के बाद JMM की राह कितनी मुश्किल होगी। आइए जानते हैं कि झारखंड में क्या है सीटों का गणित?
सियासी गलियारों में चर्चा है कि चंपई सोरेन के साथ 6 विधायक भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इसका हेमंत सोरेन की सरकार पर क्या असर पड़ेगा? महागठबंधन की सरकार बचेगी या फिर गिर जाएगी? अगर विधानसभा सीटों के आंकड़ों पर नजर डालें तो चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आ सकते हैं।
यह भी पढ़ें : चंपई सोरेन ने बगावत का कर दिया ऐलान, X के बायो से हटाया JMM का नाम, बताई दूरी की वजह
झारखंड में 5 सीटें हैं खाली?
झारखंड में कुल 82 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 81 निर्वाचित होते हैं तो एक मनोनीत। जहां जेएमएम और भाजपा के दो-दो विधायक सांसद बन चुके हैं तो वहीं सीता सोरेन के इस्तीफा से एक सीट और खाली हो गई। यानी पांच सीटें खाली हो गई हैं। इस तरह अभी विधायकों की कुल संख्या 77 है। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 39 विधायकों का सपोर्ट जरूरी है।
क्या अल्पमत में आ सकती है सरकार?
हेमंत सोरेन को फ्लोर टेस्ट में महागठबंधन के 45 विधायकों का समर्थन मिला था। अगर चंपई सोरेन समेत जेएमएम के 7 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया तो महागठबंधन में 38 विधायक ही रह जाएंगे, जिससे हेमंत सरकार एक सीट से अल्पमत में आ सकती है। ऐसे में सरकार बचाने के लिए हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएस दलबदल कानून के तहत बागी सातों विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग उठा सकती है।
यह भी पढ़ें : Jharkhand Politics: चंपई सोरेन की वे 3 शिकायतें, जिसकी वजह से लेना पड़ा बगावत का फैसला
जानें कैसे बचेगी हेमंत सोरेन की सरकार?
मान लें कि चंपई सोरेन समेत सातों विधायकों की सदस्यता चली गई तो विधानसभा सदस्यों की संख्या 70 हो जाएगी। ऐसे में हेमंत सोरेन को सरकार बचाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत पड़ेगी और उनके पास सातों विधायकों के जाने के बाद भी 38 सदस्य मौजूद हैं। हालांकि, झारखंड विधानसभा का कार्यकाल जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में खत्म होगा। इससे पहले ही विधानसभा चुनाव का ऐलान होना है, इसलिए चंपई सोरेन की बगावत से हेमंत सोरेन की सरकार पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है।