Haryana Assembly Elections: हरियाणा के सिरसा जिले में पड़ते चौटाला गांव की पहचान पूरे देश में है। इस गांव को सियासत की यूनिवर्सिटी कहा जाता है। चौधरी देवीलाल इसी गांव से थे। इस गांव के जर्रे-जर्रे से सियासत की खुशबू आती है। राजस्थान सीमा से सटे और हरियाणा के अंतिम छोर पर बसे इस गांव की गलियों में चौधर की झलक देखने को मिलती है। चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक इस गांव की चौधर रही है। चौटाला देश का इकलौता गांव है, जहां के 15 नेता 35 बार विधायक बन चुके हैं। भारत के उप प्रधानमंत्री बनने से पहले देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला भी हरियाणा के सीएम रह चुके हैं। इसके अलावा यहां के 7 नेता सांसद भी बने। देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश ने नाम के पीछे चौटाला लगाना शुरू किया तो यह गांव और सुर्खियों में आ गया।
जिले का सबसे बड़ा गांव, 25 हजार वोट
1938 के बाद इस गांव ने हरियाणा की राजनीति में प्रतिनिधित्व करना शुरू किया। चौटाला गांव वोटों के हिसाब से सिरसा जिले का सबसे बड़ा गांव है, जहां 25 हजार वोट हैं। इस गांव के लोगों के पास लगभग 52 हजार एकड़ जमीन का रकबा है। इसे बावनी ने नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस गांव में चार डालों (शाखाओं) वाले पेड़ थे, जिसकी वजह से नाम चौटाला पड़ा।
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1938 में सिरसा सीट से उपचुनाव में देवीलाल के भाई साहिबराम चुनाव जीते थे। देवीलाल की उम्र कम थी। वे इलेक्शन नहीं लड़ सके। साहिबराम यहां के पहले विधायक थे। जो 1946 में दोबारा जीते। आजादी के बाद 1951 के चुनाव में पहली बार देवीलाल विधायक बने। 1959 में फिर सिरसा से चुनाव जीते। 1962 में देवीलाल फतेहाबाद, 1974 में रोड़ी से उपचुनाव जीतकर विधायक बने। 1977 में वे भट्टू, 1982, 1985 और 1987 में महम से चुने गए।
कौन कितनी बार बना विधायक?
हरियाणा के इस गांव के साहिबराम 2 बार, देवीलाल 8 बार, ओपी चौटाला 5 बार, मनीराम 4 बार विधायक चुने गए। वहीं, अजय चौटाला 3 बार, अभय चौटाला 4 बार, नैना चौटाला, रणजीत सिंह और सीताराम को 2-2 बार विधायक बनने का मौका मिला है। इसी गांव के दुष्यंत चौटाला, बृजलाल गोदारा, जयनारायण वर्मा और अमित सिहाग 1-1 बार विधायक बन चुके हैं। हरियाणा के अलग होने के बाद यहां 1967 में पहला चुनाव हुआ था। जिसमें देवीलाल के बेटे प्रताप चौटाला ऐलनाबाद से विधायक चुने गए थे। देवीलाल 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक उप प्रधानमंत्री रहे थे।
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