---विज्ञापन---

दक्षिण हरियाणा में कमल खिलाने के लिए बीजेपी को इन 5 चेहरों से उम्मीदें, मेवात की ये सीटें भी अहम

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा में साउथ हरियाणा की सीटें भी अहमियत रखती हैं। बीजेपी ने इनको जीतने के लिए खास रणनीति बनाई है। बीजेपी को अपने केंद्रीय मंत्रियों से भी उम्मीदें हैं। जो अपने प्रभाव से विधानसभा उम्मीदवारों के लिए जीत दिलाने का काम कर सकते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Sep 3, 2024 18:17
Share :
हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन उतार चढ़ाव भरा रहा है।
हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन उतार चढ़ाव भरा रहा है।

Haryana Assembly Elections: हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं, 8 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती लगातार तीसरी बार प्रदेश में सरकार बनाने की है। वहीं, कांग्रेस मानकर चल रही है कि नतीजे उसके पक्ष में आएंगे। लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन से लबरेज कांग्रेस जीत के लिए मंथन कर रही है। बीजेपी की नजर जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ दक्षिण हरियाणा की 29 सीटों पर है। वहीं, मेवात की 3 सीटों को भी पार्टी अहम मानकर चल रही है। 2014 में हरियाणा के इतिहास में पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। लेकिन 2019 में सरकार बनाने के लिए जेजेपी और निर्दलीयों की जरूरत पड़ी। दो बार सत्ता में पहुंचाने में ज्यादा योगदान दक्षिण हरियाणा और जीटी रोड बेल्ट का रहा।

बीजेपी को जब उल्टा पड़ गया था दांव

दक्षिण हरियाणा में राव नरबीर सिंह, कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत और प्रो. रामबिलास शर्मा BJP के बड़े चेहरे हैं। अब कांग्रेस से किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भी पार्टी में शामिल हो चुकी हैं। ऐसे में भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद और गुरुग्राम की 29 सीटों को जीतने के लिए बीजेपी खास रणनीति पर काम कर रही है। पिछले चुनाव में उसे 19 सीटें मिली थीं। 2014 में बीजेपी ने बड़े जाट नेता बीरेंद्र सिंह को पार्टी में शामिल किया था। बीरेंद्र को राज्यसभा भेजा और केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया। बीजेपी मानकर चल रही थी कि जाट वोट बैंक उसकी ओर आएगा। लेकिन सब उल्टा पड़ गया।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें:हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहलाता है ये शहर, 47 सालों में रहा इन 3 परिवारों का दबदबा

2014 में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता तो उचाना से जीत गईं, लेकिन 2019 में दुष्यंत चौटाला से उनको करारी हार मिली। जाट वोट बैंक तो दूर की कड़ी, उचाना के साथ लगती सीटों पर बीरेंद्र का असर नहीं दिखा। 2019 में बीरेंद्र के बेटे बृजेंद्र सिंह को भी बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत नसीब हुई। लेकिन इसके बाद जाट वोट बैंक लगातार पार्टी से छिटकता रहा। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी का गुणगान किया था। कहा था कि जो सम्मान कांग्रेस 50 साल में नहीं दे पाई। बीजेपी ने वह कुछ दिन में दे दिया। कुछ ऐसे ही अब किरण चौधरी बोल रही हैं।

किरण चौधरी से भाजपा को कितनी उम्मीदें?

किरण को आगे कर भाजपा भिवानी और महेंद्रगढ़ के अलावा दादरी की सीटों पर चमत्कार की उम्मीद में हैं। लेकिन किरण कितनी असरदार साबित होंगी? 8 अक्टूबर को पता लग जाएगा। दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस के पास कैप्टन अजय यादव, पलवल व फरीदाबाद में महेंद्र प्रताप और करण सिंह दलाल जैसे बड़े नेता हैं। महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह भी बड़ा चेहरा हैं। इन नेताओं के सहारे कांग्रेस को भी जीत की उम्मीद है। पिछली बार मेवात की सारी सीटें कांग्रेस की झोली में गई थीं। वहीं, दादरी में एक सीट जेजेपी और एक निर्दलीय ने जीती थी। दोनों जगह भाजपा को झटका लगा था।

यह भी पढ़ें:हरियाणा की राजनीति के ट्रेजेडी किंग, अधूरा रहा CM बनने का ख्वाब; कभी ली थी हुड्डा की जीत की गारंटी

HISTORY

Written By

Parmod chaudhary

First published on: Sep 03, 2024 06:17 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें