Lok Sabha Election 2024: (भूपेंद्रसिंह ठाकुर, अहमदाबाद) गुजरात की वडोदरा सीट पर बीजेपी के अंदर मची कलह बार-बार सामने आ रही है। ज्योति पंड्या के बाद अब बीजेपी विधायक ने भी बगावत के सुर बुलंद कर दिए हैं। वडोदरा की सावली सीट से विधायक रहे केतन इनामदार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने देर रात को दो लाइन का लेटर लिखकर गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी को मेल किया। हालांकि केतन इनामदार ने इस्तीफे की वजह साफ नहीं बताई है। दो लाइन के मेल में केतन ने सिर्फ इतना लिखा की अपनी अंतरात्मा की आवाज पर उन्होंने इस्तीफा देना का फैसला किया है।
कांग्रेस नेताओं से थे नाराज
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केतन इनामदार कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कुछ नेताओं से खफा थे। दरअसल बीजेपी ने आगामी चुनावों की बागडोर कांग्रेस से आए नेताओं को थमा दी है, जिसके चलते केतन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। केतन के इस्तीफे से गुजरात की राजनीति में भूचाल आ गया है। वडोदरा से लेकर गांधीनगर तक पार्टी में राजनितिक उठापटक जारी है।
केतन ने दिया बयान
वड़ोदरा की सावली सीट से इस्तीफा देने के बाद केतन इनामदार ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर बयान दिया है। केतन का कहना है कि मैं बीजेपी का निष्ठावान और पुराना कार्यकर्ता हूं और हमेशा रहूंगा। मैं पार्टी को जिताने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करूंगा।’ लेकिन हर कोई सिर्फ सत्ता के लिए नहीं है। हालांकि इसी बीच उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं। केतन के अनुसार पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है।
कुलदीप राउलजी हैं असली वजह
खबरों की मानें तो केतन के इस्तीफे की असली वजह कुलदीप राउलजी हैं। दरअसल कुलदीप ने केतन के खिलाफ चुनाव लड़ा था। ऐसे में दोनों एक-दूसरे के कड़े विरोधी माने जाते थे। मगर हाल ही में कुलदीप ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। वहीं आम चुनावों में बीजेपी ने कुलदीप को अहम जिम्मेदारी सौंपी है, जिससे केतन नाराज थे और आखिरकार उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया।
सांसद को लगा झटका
केतन इनामदार वडोदरा की सांसद रंजन बेन भट्ट के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में इनामदार के इस्तीफे से रंजन भट्ट भी सकते में आ गई है। कुछ दिनों पहले उन्होंने ज्योति पंड्या की नाराजगी झेली थी। लोकसभा चुनावों के दौरान अब रंजन भट्ट केतन इनामदार से मनमुटाव नहीं पालना चाहती। जाहिर है केतन से अलगाव का असर लोकसभा चुनावो पर भी पड़ सकता है। यही वजह है कि रंजन लगातार केतन इनामदार से बात करके उन्हें मनाने की कोशिश कर रहीं हैं।
पहले भी दिया है इस्तीफा
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उनका इस्तीफा प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो सकता है। केतन कई बार पहले भी पार्टी पर दवाब बनाने के लिए इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। आपको बता दें कि केतना इनामदार 2012 में निर्दलीय चुनाव जीते थे और उसके बाद दो बार बीजेपी से विधायक बन चुके हैं। सावली इलाके में केतन इनामदार की काफी पैठ मानी जाती है। बहरहाल कहा जा रहा है की केतन इनामदार गांधीनगर में जल्द ही सी.आर पाटिल के साथ बैठक में अपनी बात रखेंगे और बात न बनने पर हो सकता है कि केतन विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर अपना इस्तीफा भी सौंप दें।