Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटियों में पिछले एक साल में 1800 से अधिक लोग दूषित पानी पीने से बीमार हो चुके हैं. जिन सोसायटियों में दूषित पानी पानी से लोग बीमार हुए, उन सभी सोसायटियों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीम ने पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे. निवासियों का आरोप है कि उन सैंपल की रिपोर्ट प्राधिकरण की टीम ने अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है. प्राधिकरण के अधिकारी हर बार सोसायटी को रिपोर्ट देना भूल जाते है. यह फिर उन सैंपल की रिपोर्ट ही नहीं आती है. वह सैंपल केबल दिखावे के लिए भरे जाते हैं.
क्या बोले निवासी
निवासियों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा के बसने के पहले सपने दिखाए गए थे कि उन्हें नए शहर में हरियाली, जाम से मुक्ति, साफ-सफाई और स्वच्छ पानी जैसी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है. यह सभी मूलभूत सुविधाएं अब तक निवासियों को नहीं मिल पाई हैं. निवासियोें का कहना है कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में दूषित पानी से कितने लोग बीमार हुए. आरोप है कि मेंटेनेंस और ग्रेनो प्राधिकरण की लापरवाही का खामियाजा हर बार उन्हें ही भुगतना पड़ रहा है. निवासियों का आरोप है कि प्राधिकरण की कार्रवाई केवल जुर्माना तक सीमित रहती है. मामला शांत हो जाने के बाद बिल्डर प्रबंधन और मेंटेनेंस जुर्माना तक जमा नहीं करते. ऐसे में सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
अब तक नहीं मिली रिपोर्ट
अरिहंत आर्डेन सोसायटी के सचिव लोकेश त्यागी ने बताया कि उनके यहां फरवरी में दूषित पानी की सप्लाई के कारण 150 से अधिक निवासियों को पेट दर्द,उल्टी और दस्त की शिकायत हो गई थी. दूषित पानी आने की जानकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को दी गई. सोसायटी में पहुंचकर टीम ने पानी के सैंपल भी भरे.उन सैंपल की रिपोर्ट आठ महीने बीतने के बाद भी अब तक नहीं मिली है. कई बार रिपोर्ट साझा करने की मांग भी की गई कि यदि सोसायटी स्तर पर कोई कमी हो तो उसे सही करा लिया जाए, लेकिन अब तक रिपोर्ट ही नहीं मिली. उन्होंने बताया कि उसी दौैरान पंचशील हाइनिश में और सुपरटेक इकोविलेज एक में भी लोगों को समस्या हुई थी. उनकी सोसाइटी में भी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है. वहीं आस्था ग्रीन सोसायटी के निवासी बिपिन कुमार ने बताया कि उनके यहां भी 50 से अधिक लोग बीमार हुए थे. अब तक उन्हें भी रिपोर्ट नहीं मिली है.
निजी लैब में सैंपल की जांच करा रहे निवासी
ईकोविलेज-एक में रहने वाले मनीष कुमार ने बताया कि अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दूषित पानी के सैंपल की रिपोर्ट मिलती ही नहीं है. सोसाइटी के स्तर पर निवासी दूषित पानी की जांच के लिए सैंपल भेजते हैं. जिसमें बैक्टीरिया की पुष्टि तक हो जाती है,लेकिन प्राधिकरण की ओर से हर बार कहा जाता है कि उनकी ओर से सप्लाई किए जा रहे पानी में कोई कमी नहीं है. मेंटेनेंस और प्राधिकरण की लापरवाही निवासियों की जान पर बन आती है.
कब कब सोसाइटी में हुई परेशानी
4 सितंबर- ईकोविलेज-दो में 339 से अधिक लोग बीमार
25 अक्टूबर- ईकोविलेज दो में 200 लोगों की तबियत बिगड़ी
5 फरवरी – इकोविलेज एक में 400 लोगों की सेहत बिगड़ी
7 फरवरी – पंचशील हाइनिश में 89 और अरिहंत गार्डेन में 150 लोगों ने पेट दर्द, उल्टी-दस्त की शिकायत की
7 अप्रैल- अजनारा होम्स में 600 से अधिक लोग बीमार हुए
मांगी नहीं गई रिपोर्ट
इस मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग के जीएम राकेश शुक्ला का कहना है कि प्राधिकरण की टीम जिन सोसायटियों से सैंपल लेती है. उसकी रिपोर्ट उसके पास होती है. एओए और अन्य लोगों की ओर से रिपोर्ट कभी नहीं मांगी गई. यदि रिपोर्ट मांगी जाती है तो उन्हें उपलब्ध कराई जाती है. सैंपल की जांच का शुल्क भी संबंधित सोसाइटी के जिम्मेदारों को देना होता है.
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