नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा की पिटिशन कमेटी ने दिल्ली के प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस को तलब किया है। कमेटी ने दिल्ली में प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरी आशीष चंद्र वर्मा के व्यवहार को देखते हुए दिल्ली विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी में भेजा है। इसके अलावा दिल्ली विधानसभा की समिति ने प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरी एसी वर्मा के व्यवहार को सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए कहा है। साथ ही गृह मंत्रालय और लोकसभा स्पीकर को भी पत्र भेजा गया है।
कमेटी सदस्य और अधिकारी में तीखी नोंकझोक
दिल्ली विधानसभा की पिटिशन कमेटी की बैठक के दौरान कमेटी के सदस्य व दिल्ली विधायक सौरभ भारद्वाज और अधिकारी के बीच तीखी बहस हुई। सौरव भारद्वाज ने फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी द्वारा ठीक से सवालों के जवाब नहीं देने पर IHBAS (पागलखाने) में इलाज करवाने की नसीहत दी है।
दरअसल, फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आशीष चंद्र वर्मा कमेटी के सवालों के जवाब अगर-मगर में दे रहे थे। सौरव भारद्वाज की टिप्पणी के बाद सेक्रेटरी ने कहा कि आप मुझ पर निजी टिप्पणी न करें। मेरी आपत्ति को ऑन रिकॉर्ड रखा जाए। मैं अपना जवाब लिखित में दूंगा।
अधिकारी के आचरण का सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा
इस पर कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी ने वर्मा के आचरण को जघंय माना है। समिति के सामने प्रस्ताव रखा कि अधिकारी के व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए इसे उनके सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा सभा की पिटिशन कमेटी को शिकायत मिली थी की कि अस्पतालों में दवाइयां और डेटा एंट्री ऑपरेटरों का अभाव है। इसके लिए अखिलेश पति त्रिपाठी की अध्यक्षता में बनी पिटिशन कमेटी ने दिल्ली के सभी 30 मेडिकल सुपरिटेंडेंट को बुलाकर उनसे शपथ दिलाकर ऑन रिकॉर्ड जानकारी मांगी। मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बताया कि उनके अस्पतालों में इन सुविधाओं का अभाव है। वे विभाग को इसकी जानकारी लिखित में दे चुके हैं।
मेडिकल सुप्रिटेंडेंट्स पर डाला दोष, बुलाई बैठक
पिटीशन कमिटी दिल्ली विधानसभा के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने बताया कि कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि अस्पतालों में जो डेटा ऑपरेटर मरीजों का ओपीडी कार्ड बनाते हैं, वो गायब हैं। हमने कई बैठकों में फाइनेंस सेक्रेटरी और हेल्थ सेक्रेटरी को बुलाया। उन्होंने मेडिकल सुप्रिटेंडेंट के ऊपर यह दोष डालना चाहा। इसके बाग आज हमने दिल्ली के सभी 30 मेडिकल सुप्रिटेंडेंट को बुलाया। ओथ पर उनसे पूछा कि डेटा एंट्री ऑपरेटर क्यों गायब थे?
इसके बाद सभी मेडिकल सुप्रिटेंडेंट ने ऑथ पर कहा कि सारी की सारी गलती फाइनेंस सेक्रेटरी आशीष चंद्र वर्मा की है। महीनों तक ओपीडी कार्ड बनाने वाले ऑपरेटर नहीं थे। इस पर आज जब फाइनेंस सेक्रेटरी को बुलाया गया। वह 2 घंटे बाद कमेटी के सामने पहुंचे। ऑन ऑथ जब उनसे जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि मैं जानकारी नहीं दूंगा। कहा कि मेरे पास एक ही फाइल है।
विशेषाधिकारी कमेटी को भेजी रिपोर्ट
जब समिति ने कहा कि आप फाइल लेकर आएं, तो उनके साथ ही सहकर्मी कहने लगे कि मैं फाइल लेकर आ रहा हूं, लेकिन जब समिति ने चेक किया तो यह फाइल वही थी। जिसे वह कह रहे थे कि वो लेकर आ रहे हैं। कमेटी सदस्य ने कहा कि वर्मा समिति से झूठ बोल रहे थे। बार-बार कहते थे कि मुझे बात याद नहीं है। इस तरह के कंडक्ट के बाद समिति ने फैसला किया कि मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा जाएगा।
जिस तरह से गरीब मरीजों को उन्होंने परेशान किया है, इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। साथ गृह मंत्रालय और लोकसभा स्पीकर को भी पत्र लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्मा का जो कंडक्ट था, वह काफी बुरा था। उनकी बॉडी लैंग्वेज बहुत ज्यादा डिमीनिंग थी। समिति अध्यक्ष उनसे बात कर रहे हैं। तो वह कभी इधर देखते हैं तो कभी उधर देखते।