Electricty Cost in Delhi: राजधानी दिल्ली में बिजली महंगी होने जा रही है। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने पावर डिस्कॉम, बीवाईपीएल और बीआरपीएल की मांग स्वीकार कर ली है, जिसमें उन्हें दरें बढ़ने की अनुमति दी थी। इस फैसले से 8 फीसदी बिजली महंगी हो जाएगी। हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा कि इस बढ़ोत्तरी का उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन 200 यूनिट से ऊपर बिजली खर्च होने के बाद बढ़ा हुआ चार्ज देना पड़ेगा।
दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी ने सोमवार को शहर की बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) में 8 फीसदी की बढ़ोतरी के लिए केंद्र पर निशाना साधा। पत्रकारों से बात करते हुए, आम आदमी पार्टी (आप) नेता ने कहा कि दिल्ली में बिजली दरें केवल केंद्र सरकार के कुप्रबंधन और कोयला ब्लॉकों की बढ़ती दरों के कारण बढ़ रही हैं।
आतिशी ने कहा कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। पूछा कि कीमत क्यों बढ़ रही है और बिजली उत्पादक कंपनियां ऊंची दरों पर कोयला खरीदने के लिए क्यों मजबूर हैं।
The Central government is responsible for power companies increasing the Power Purchase Adjustment charges because the Centre determines the prices of LPG gas and coal in the country. For the first time in 75 years, there is a coal shortage in a country that has so many coal… pic.twitter.com/BjGoTvIDgB
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) June 26, 2023
घरेलू कोयला 200 रुपए प्रति टन
आतिशी ने आगे कहा, ‘केंद्र ने कोयला खरीदारों को कम से कम 10 प्रतिशत आयातित कोयला खरीदने के लिए मजबूर किया है, जिसकी कीमत भारतीय कोयले से 10 गुना अधिक है। घरेलू कोयले की कीमत लगभग 200 रुपये प्रति टन है, जबकि आयातित किस्म की कीमत 25,000 रुपये प्रति टन है।’
बिजली मंत्री ने यह भी कहा कि हालिया बढ़ोतरी का असर उन उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा जिनकी बिजली खपत 200 यूनिट या उससे कम है। उन्होंने कहा कि जिन उपभोक्ताओं को सब्सिडी नहीं मिलती है, उनके बिजली बिल में पीपीएसी सरचार्ज में 8 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। आतिशी ने कहा कि मैं उपभोक्ताओं को केवल यह बताना चाहती हूं कि इस बढ़ोतरी के लिए केवल केंद्र जिम्मेदार है। इसने आयातित कोयले के उपयोग को मजबूर कर दिया है, जो घरेलू कोयले की तुलना में 10 गुना महंगा है।
कितना पड़ेगा बोझ और क्यों बढ़े बिजली के दाम?
दिल्ली में 200 यूनिट बिजली फ्री है। यदि उसके ऊपर मान लीजिए 100 रुपए बिल आता है तो आपको 108 रुपए देना होगा। बता दें कि बिजली खरीद समायोजन लागत, हर तिमाही में नियमित संशोधन से गुजरती है, जिससे बिजली उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले कोयले और गैस जैसे ईंधन स्रोतों की मौजूदा कीमतों के आधार पर संभावित वृद्धि या कमी हो सकती है।
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