DUSU Election 2025: दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट यूनियन DUSU के नतीजे कुछ ही देर में सामने आने वाले हैं. जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. पिछले कई दिनों से दिल्ली यूनिवर्सिटी में चुनावों को लेकर तैयारियां चल रही थी और सभी दल चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे. बता दें कि कल चुनाव हुए थे और आज काउटिंग जारी है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस चुनाव से ही छात्रों के लिए राजनीति के दरवाजे भी खुलते हैं.
रिजल्ट घोषित होते ही विश्वविद्यालय को नए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव मिल जाएंगे. इन पदों के लिए 21 उम्मीदवारों ने दावा ठोका है. अध्यक्ष पद की दौड़ में आर्यन मान (एबीवीपी), जोसलिन नंदिता चौधरी (एनएसयूआई) और अंजलि (एसएफआई-आइसा) हैं.
अब सवाल ये है कि DUSU चुनाव जीतने वाले अध्यक्ष की क्या पावर होती है और उसे क्या-क्या सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं?
कैसे होता है DUSU चुनाव?
बता दें कि हर साल दिल्ली यूनिवर्सिटी में चुनाव कराए जाते हैं. जिसमें काफी पैसा भी खर्च होता है. कई उम्मीदवार इस चुनाव में शामिल होते हैं. चुनाव के लिए पोलिंग बूथ भी बनाया जाता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले सभी स्टूडेंट अपना-अपना वोट डालते हैं और फिर काउंटिंग होती है और नतीजे सामने आते हैं.
DUSU अध्यक्ष के पास क्या पावर होती है?
मिली जानकार के अनुसार, DUSU अध्यक्ष पद की बात करें तो इस पद की पावर काफी अहम मानी जाती है. जीतने वाले व्यक्ति को अलग से एक ऑफिस भी दिया जाता है. इसके साथ ही इस पद को राजनीतिक करियर के लिहाज से भी काफी अहम माना जाता है. जीतने वाला व्यक्ति प्रशासन के साथ भी कई मुद्दों की चर्चा में शामिल होता है और अगर अध्यक्ष को किसी फैसले पर आपत्ति है तो वो उसका विरोध भी करते हैं. इसके साथ ही DUSU अध्यक्ष यूनिवर्सिटी से जुड़े मुद्दों और समस्याएं, हॉस्टल से जुड़ी समस्याएं, फीस की व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर भी अपनी बात रखने के लिए जिम्मेदार होता है.
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कितनी होती है DUSU अध्यक्ष की सैलरी?
जानकारी के अनुसार, दिल्ली यूनिवर्सिटी में बनने वाले अध्यक्ष को कोई सैलरी नहीं मिलती है. जीतने वाली पार्टी को 20 लाख रुपये का बजट अलॉट किया जाता है. जिसमें से चारों पदाधिकारियों के पास 5-5 लाख रुपये होते हैं. ये पैसा किसी के भी डायरेक्ट अकाउंट में नहीं मिलता है. इस पैसे को खर्च करने के लिए अलग से एक समिति का भी गठन किया जाता है. जो पूरे पैसे का हिसाब रखती है. पैसे लेने से पहले समिति को ये बताना होता है कि पैसा किस काम के लिए खर्च हो रहा है.